जानिये, क्या है जीवन चक्र, भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता में क्या बताया
जानिये, क्या है जीवन चक्र, भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता में क्या बताया
जीवन चक्र हमेशा चलता रहता है। आप अभी जो हैं वह भले ही मृत्यु के बाद नहीं रहें लेकिन आप नहीं होंगे ऐसा नहीं है। क्योंकि संसार में जितने भी जीव में वह किसी न किसी रुप में हर युग हर समय में रहे हैं। यह अलग बात है कि आज आप मनुष्य हैं तो अगले जन्म में पशु हो सकते हैं। यह भी संभव है कि आपको अपने कर्मों के कारण कुछ समय तक अशरीरी बनकर भटकना पड़े यानी आप भूत-प्रेम या पितर के रुप में मौजूद रहें। लेकिन यह क्रम कभी रुकता नहीं है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता में बताया भी है कि ऐसा कोई समय नहीं था जब मैं नहीं था या तुम नहीं थे। यह अलग बात है कि मुझे अपने हर जन्म का ज्ञान है लेकिन तुम्हें उनका ज्ञान नही है। बस यही अंतर है नर में और नारायण में। लेकिन नर का मतलब यहां पुरुष से नहीं बल्कि मनुष्य और अन्य जीवों से है कि उन्हें अपने अगले पिछले जन्म का ज्ञान नहीं होता। हां कभी कभी कुछ ऐसे मामले आ जाते हैं जब व्यक्ति को अपने पूर्वजन्म की बातें याद रहती हैं। और ऐसे कई मामले आपने पढ़ा या सुना होगा कि पूर्वजन्म में जो पुरुष था वह अगले जन्म में स्त्री रुप में जन्म लिया। इसका तीन कारण शास्त्रों में बताया गया है।शास्त्रों में कहा गया है कि जिस व्यक्ति की भावना जैसे होती है उसे उसी अनुरुप अगला जन्म मिलता है। खासतौर पर उसकी मृत्यु के समय उसकी जैसी सोच रहती है या जिन ख्यालों में रहता वह काफी हद तक उसके अगले जन्म की लिंग और योनी का निर्णय करता है। यानी जो व्यक्ति अपनी मृत्यु के समय पत्नी, पुत्री, बेटी या अन्य स्त्री संबंधियों का ध्यान करता है वह अगले जन्म में खुद भी स्त्री रुप में जन्म लेता है। अगले जन्म स्त्री बनने का एक और बड़ा कारण यह माना गया है कि जो व्यक्ति स्त्रियों में अधिक रुचि रखता है और उनके साथ रहकर स्त्रीगत व्यवहार करने लगता है वह खुद भी अगले जन्म में स्त्री बनता है। तीसरा कारण जिनसे पुरुष को अगले जन्म में स्त्री बनना पड़ता है वह है स्त्रियों को सातना, स्त्रियों का अपमान। जो व्यक्ति अपनी पत्नी का निरादर करता है और उनके साथ अपमान जनक व्यवहार करता है उसे भी अगले जन्म स्त्री बनकर पूर्वजन्म में किए गलतियों का दंड भोगना पड़ता है।
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