आखिर. क्यूँ शरद पूर्णिमा को खुले आकाश में रखते है खीर, कैसे बन जाता है ये अमृत
आखिर. क्यूँ शरद पूर्णिमा को खुले आकाश में रखते है खीर, कैसे बन जाता है ये अमृत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा शरद पूर्णिमा को ही अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है । इस रात्रि में चंद्रमा की किरणें अमृत के समान इस धरती पर पड़ती खीर बनाकर उसे रात्रि भर रखने के पीछे भी यही कारण है कि ओस की बूंदे अमृततुल्य हो जाती हैं जो हमारे जीवन में श्री बढ़ाने वाली होती हैं ।
सनातन धर्म के अनुसार पूर्णिमा का महात्म सदैव रहता है किंतु आश्विन माह में जो पूर्णिमा होती है इसको शरद पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस वर्ष 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान व दान का विशेष महत्व है इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त हो पृथ्वी पर अपनी रश्मि और से सिंचित करता है और पूर्णिमा के साथ ही कार्तिक माह की शुरुआत हो जाती है इस दिन भगवान विष्णु जी की आराधना का विशेष फल प्राप्त होता है क्योंकि चंद्रमा श्वेत रंग का होता है, सफेद रंग चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। सफेद पुष्प, वस्त्र आदि का विशेष महत्व है ।
इस रात राधा कृष्ण, विष्णु आराधना और शिव आराधना का भी विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान को खीर का भोग लगाते हैं चंद्रमा के प्रकाश खीर को अमृत तुल्य बनाती है। इस रात्रि भगवान श्री कृष्ण ने रचाया था।
– विकाश त्रिपाठी
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