Home 2022 राजा दशरथ का राज मुकुट, एक अनोखा राज जिसे कैकयी ही जानती थी

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

राजा दशरथ का राज मुकुट, एक अनोखा राज जिसे कैकयी ही जानती थी

राजा दशरथ का राज मुकुट, एक अनोखा राज जिसे कैकयी ही जानती थी
अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका सामना बाली से हो गया. राजा दशरथ की किसी बात से नाराज हो बाली ने उन्हें युद्ध के लिए चुनोती दी.राजा दशरथ की तीनों रानियों में से कैकयी अश्त्र शस्त्र एवं रथ चालन में पारंगत थी.
अतः अक्सर राजा दशरथ जब कभी कही भ्रमण के लिए जाते तो कैकयी को भी अपने साथ ले जाते थे इसलिए कई बार वह युद्ध में राजा दशरथ के साथ होती थी.
जब बाली एवं राजा दशरथ के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था उस समय संयोग वश रानी कैकयी भी उनके साथ थी.
युद्ध में बाली राजा दशरथ पर भारी पड़ने लगा वह इसलिए क्योकि बाली को यह वरदान प्राप्त था की उसकी दृष्टि यदि किसी पर भी पड़ जाए तो उसकी आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाती थी. अतः यह तो निश्चित था की उन दोनों के युद्ध में हार राजा दशरथ की ही होगी.
राजा दशरथ के युद्ध हारने पर बाली ने उनके सामने एक शर्त रखी की या तो वे अपनी पत्नी कैकयी को वहां छोड़ जाए या रघुकुल की शान अपना मुकुट यहां पर छोड़ जाए. तब राजा दशरथ को अपना मुकुट वहां छोड़ रानी कैकेयी के साथ वापस अयोध्या लौटना पड़ा.
रानी कैकयी को यह बात बहुत दुखी करने लगीं, आखिर एक स्त्री अपने पति के अपमान को अपने सामने कैसे सह सकती थी. यह बात उन्हें हर पल काटे की तरह चुभने लगी की उनके कारण राजा दशरथ को अपना मुकुट छोड़ना पड़ा.
वह राज मुकुट की वापसी की चिंता में रहतीं थीं. जब श्री रामजी के राजतिलक का समय आया तब दशरथ जी व कैकयी को मुकुट को लेकर चर्चा हुई. यह बात तो केवल यही दोनों जानते थे.
कैकेयी ने जब श्री राम के वनवास का कलंक अपने ऊपर ले लिया था और श्री राम को वन भिजवाया तथा. तब रघुकुल की आन को वापस लाने के लिए उन्होंने श्री राम से कहा भी था कि बाली से मुकुट वापस लेकर आना है.
श्री राम जी ने जब बाली को मारकर गिरा दिया. उसके बाद उनका बाली के साथ संवाद होने लगा. प्रभु ने अपना परिचय देकर बाली से अपने कुल के शान मुकुट के बारे में पूछा था.
तब बाली ने बताया- रावण को मैंने बंदी बनाया था. जब वह भागा तो साथ में छल से वह मुकुट भी लेकर भाग गया. प्रभु मेरे पुत्र को सेवा में ले लें. वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर आपका मुकुट लेकर आएगा.
जब अंगद श्री राम जी के दूत बनकर रावण की सभा में गए. वहां उन्होंने सभा में अपने पैर जमा दिए और उपस्थित वीरों को अपना पैर हिलाकर दिखाने की चुनौती दे दी, रावण के महल के सभी योद्धा ने अपनी पूरी ताकत अंगद के पैर को हिलाने में लगाई परन्तु कोई भी योद्धा सफल नहीं हो पाया.
जब रावण के सभा के सारे योद्धा अंगद के पैर को हिला न पाए तो स्वयं रावण अंगद के पास पहुचा और उसके पैर को हिलाने के लिए जैसे ही झुका उसके सर से वह मुकुट गिर गया. अंगद वह मुकुट लेकर वापस श्री राम के पास चले आये.
यह महिमा थी रघुकुल के राज मुकुट की.
राजा दशरथ के पास से मुकुट गया तो उन्हें पीड़ा झेलनी पड़ी. बाली से जब रावण वह मुकुट लेकर गया तो बाली को अपने प्राणों को आहूत देनी पड़ी. इसके बाद जब अंगद रावण से वह मुकुट लेकर गया तो रावण के भी प्राण गए.
तथा कैकयी के कारण ही रघुकुल के लाज बच सकी यदि कैकयी श्री राम को वनवास नही भेजती तो रघुकुल सम्मान वापस नहीं लौट पाता. कैकयी ने कुल के सम्मान के लिए सभी कलंक एवं अपयश अपने ऊपर ले लिए, इसीलिए श्री राम अपनी माताओं में सबसे ज्यादा प्रेम कैकयी को करते थे।

Author: adminMBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!