काशी में शिव महापुराण कथा
काशी में शिव महापुराण कथा
काशी अद्भुत-कलयुग व प्रलय में सब नष्ट हो जायेगा काशी नष्ट नही होगा
– काशी में शवयात्रा और वर यात्रा साथ-साथ – सतुवा बाबा
श्री विट्ठल सेवा समिति के तत्वावधान में काशी वासियों के सहयोग से वाराणसी के गढ़वाघाट रोड पर मलहिया (रमना) में विश्व सुन्दरी पुल के नीचे मॉं गंगा के पावन तट पर आज दोपहर सप्ताह व्यापी ज्ञानवापी शिव महा पुराण कथा का शुभारम्भ हुआ है, कथा प्रारम्भ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन कथा के मुख्य यजमान कौशल कुमार सिंह, गीता सिंह, निधि सिंह ने परिजनों के साथ किया।
कथा के प्रथम दिवस व्यासपीठ से प्रख्यात कथा वाचक पं0 प्रदीप मिश्रा (सीहोर-म0 प्रदेश) ने काशी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये बताया कि यह वही काशी है जहॉं संसार में पृथ्वी का निर्माण होने पर सूर्य की पहली किरण यही पड़ी। यही पर पच्चास हजार वर्ष तक भगवान विष्णु ने तपस्या की और बाद में महादेव को इसे दे दिया और स्वयं माता लक्ष्मी की इच्छापूर्ति के लिऐ मॉ पार्वती व भगवान शिव से अनका बद्रिकाश्रम मांग लिया। महादेव ने सहर्ष बद्रिकाश्रम देकर मॉ गंगा के साथ काशी को अपना सबसे प्रिय स्थान बना लिया।
काशी अविनाशी
बाबा की काशी अद्भुत है कलयुग व प्रलय में सबकुछ नष्ट हो जायेगा पर काशी नष्ट नही होगा। यह नन्दन वन हैं। यहॉ का कंकड़ भी शंकर है। संसार में सिर्फ यही परिजनों की मत्यु पर संतोष व सुख का अनुभव होता है जबकि अन्यत्र प्राण घुटने पर परिजन विलाप ही करते हैं। काशी की धरा व यहां वास करने वाले धन्य है। मॉं गंगा के तट पर कथा का विशेष महत्व बताते हुये पूज्य पं0 प्रदीप मिश्र ने बताया कि यहॉ देश विदेश से जो भी भक्त आये हैं कथा श्रवण करें। पानी में डूबने स्त्री के हाथ व सर्प के डसने किसी भी मनुष्य की मृत्यु होने पर मोक्ष नहीं मिलता, इससे बचना चाहिये।
परिजनों की सीख
बच्चों को अपने परिजनों की सीख अवश्य माननी चाहिए जिद् पर अड़े रहने से उसका अन्त बहुत बुरा होता है जैसे-रावण उसने मन्दोदरी तक की परामर्श नहीं मानी और माता सीता को नही छोड़ा। उसकी जिद के कारण ही उसे मौत को गले लगाना पड़ा जबकि संसार का सबसे बड़ा दुराचारी दुर्योधन और दुस्साशन का पुतला नहीं जलाया जाता किन्तु रावण का ही पुतला जलाया जाता है।
पति के अनुरूप पत्नी हो
पति-पत्नी में सर्वदा अच्छे सम्बन्ध के लिए पति के अनुरूप पत्नी को भी अपने कार्य का चयन कर लेना चाहिए, जैसे भगवान विष्णु की लम्बी तपस्या के समय माता लक्ष्मी तीर्थ यात्रा पर निकल गयी थी।
मनुष्य का जन्म
83 लाख 9 हजार 9 सौ नैन्यानवे जन्मों के बाद किसी को मनुष्य का जन्म प्राप्त होता है, इसे व्यर्थ न जाने दें। यहि किसी के भी मन को न दुखाएं तो कही भी धूपबत्ती-अगरबत्ती जलाने की जरूरत नहीं है। संसार मंे पृथ्वी पर जन्म लेने वाले देश-विदेश के हर व्यक्ति को एक बार बाबा विश्वनाथ धाम ‘‘काशी’’ का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
कथा शुभारम्भ के अवसर पर महामण्डलेश्वर संतोष दास (सतुवा बाबा) ने अपने आर्शीवचन में कहा कि काशी व शिव महापुराण धन्य है। बाबा के त्रिशूल पर टिकी काशी ब्रहम्म से ब्रहम्म का दर्शन कराती है। यही वही काशी है जहॉ शव व वर यात्रा साथ-साथ चलती हैं यहॉ पॉच मिनट की रामनगरिया में राम झाकी के दर्शन के लिए पांच लाख लोग एकत्र हो जाते है। क्षण मात्र की भरत मिलाप व नाग नथैहया लीला के लिए लाखों लोग एकत्रित हो जाते है। इस काशी में शिव महापुराण की कथा सिर्फ व सिर्फ बाबा विश्वनाथ ही करा सकते है, इस काशी के श्रृंगार के लिए ही बाबा विश्वनाथ व मां गंगा ने भी नरेन्द्र मोदी को भेजा है और उसमें योगी ने चार चॉद लगा रहे हैं। इसी काशी में मॉ गंगा के तट पर व्यासपीठ से प्रख्यात कथा वाचक पं0 प्रदीप मिश्रा भक्तों को भगवान से जोड़ जीवन को सार्थक बनाने की राह प्रशस्त कर रहे हैं। धन्य है काशी।
कथा शुरू होने से पूर्व सामने घाट के सामने रत्नाकर बिहार कालोनी स्थित विन्ध्यवासिनी भवन से शिव महापुराण के साथ कलश यात्रा निकाली गयी जो मुरारी चौक से होते हुये कथा स्थल तक गया।
कथा के अन्त में व्यासपीठ की भव्य आरती हुयी जिसमें संजय केसरी, आत्मा विशेश्वर, प्रदीप मानसिंहका, राम बहादुर सिंह, संजय , डॉ0 हरीश सिंह आदि लोग प्रमुख रूप से शामिल थे। कथा का कुशल संचालन आशीष वर्मा कर रहे थे।
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