दिवाली की रात क्यों हैं काजल लगाने की परंपरा, जानें इसके पीछे का कारण
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दिवाली के दिन सरसों के तेल का या शुध्द घी का दिया जलाकर काजल बना ले…ये काजल लगाने से भूत प्रेत पिशाच, डाकिनी से रक्षा होती है…और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
पूरे देश में बड़ी धूमधाम से दीपों का त्योहार दीवाली मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं दीवाली की रात ज्यादातर घरों में दीपक से निर्मित काजल लगाने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार दिवाली की रात में दीपक से काजल बनाकर लगाने का विशेष महत्व है।
ऐसे बनाये काजल
एक मिट्टी के दीपक में तेल डालकर उसमें रुई से बनी बत्ती को भिगो लें, अब इस दीपक को जलाएं, फिर इसके ऊपर प्लेट या कटोरी उल्टी करके रख दें, ध्यान रहें कि यह लौ उस बर्तन पर बार- बार लगती रहें, तभी उस बर्तन पर कालिख बनेगा । इस कालिख को एक कटोरी में एकत्रित कर इसमें कुछ बूंद घी के साथ मिक्स कर लें। इसी काजल को दीवाली की रात लोग अपनी आंखो में लगाते है।
लगाने के कारण
मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात दीपक से बने हुए काजल को लगाने से घर परिवार में किसी को बुरी नजर नहीं लगती है और घर में सुख-समृद्धि के साथ-साथ शांति भी बनी रहती है। कुछ लोग इस काजल को अपनी तिजोरी, घर के बाहर गेट पर भी लगाते हैं। उनका मानना है कि इससे उनके धन पर और घर में बुरी नजर नहीं लगेगी, इसे वो टोटके के तौर पर इस्तेमाल करते है।
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