गंगोत्री सेवा समिति देव दीपावली 2022 : 21 बटुकों संग 42 रिद्धि सिद्धि सम्पन्न कराएगी गंगा महाआरती
” कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं ने मनाई थी दीपावली ”
” महादेव द्वारा दैत्य त्रिपुर के वध के उपरांत देवताओं जलाया था दीप श्रृंखला ”
” वषों बाद आज भी शिव की नगरी में जारी है यह परम्परा ”
” पूर्णिमा की रात गंगा के घाट पर होता हैं अद्भुत जल उत्सव ”
” घाटों पर करोड़ो की संख्या में होते है श्रद्धालु ”
काशी की गंगा आरती के वैश्वीकरण के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन दशाश्वमेध घाट स्थित गंगोत्री सेवा समिति ने आरती के इतिहास में एक नया अध्याय का सृजन करते हुए काशी में सबसे पहले 31 साल पहले बाबू महाराज द्वारा शुरू किया था ।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाट ब्राम्हणों के श्लोक के साथ ‘‘हर-हर गंगे’ के महाजाप से गूंज उठेगा। वर्षो से चल रही परम्परा के अनुसार दशाश्वमेध घाट पर नियमित आरती करने वाली संस्था गंगोत्री सेवा समिति के तत्वावधान में गंगा महारानी का पूजन-स्तवन संग दुग्धाभिषेक किया जाता है । तट पर सिंहासनारूढ़ गंगा महारानी की श्रृंगारिक प्रतिमा और उनकी अलौकिक आरती की निराली छवि निहारने को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है । धार्मिंक अनुष्ठान का श्रीगणेश मंगलाचरण से होने के पश्चात समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमण दूबे (बाबू महाराज) के सान्निध्य में मां गंगा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन के क्रम में 51 लीटर दूध से अभिषेक किया जाता है । समूचे घाट की आकर्षक दीप सजावट के साथ ही माँ गंगा की 108 किलो की अष्टधातु की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार 108 किलो फूल से किया जाता है जिसमें कलकत्ता से मंगाए विदेशी फूल संग देशी फूलो का भी समावेश होता है ।
आयोजन में 21 बटुकों संग 42 रिद्धि सिद्धि द्वारा गंगा महाआरती होगी । इस उत्सव् को यादगार बनाने के लिए गायको के संयोजन में सांस्कृतिक आयोजन का आयोजन भी किया जाता है। आयोजन के अंत में राज्य पुलिस और पीएसी के शहीद हुए जवानों की याद में अश्विन पूर्णिमा से जल रही आकाशदीप का समापन किया जाता है ।
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