संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी : संकटों का निवारण संग सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए करे यह व्रत
सनातन हिन्दू धर्मशास्त्रों में भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अपरम्पार है। समस्त शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व सर्वप्रथम मंगलमूर्ति श्रीगणेशजी को स्मरण करके पूजा-अर्चना की जाती है। संकट निवारण एवं सुख-समृद्धि के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक मान्यता है। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि के दिन किए जाने वाला व्रत संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस दिन भगवान श्रीगणेश जी की महिमा में रखे जानेवाले व्रत से जीवन के संकट कट जाते हैं। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी इस बार शनिवार, 12 नवम्बर को पड़ रही है।
इस बार मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि शुक्रवार, 11 नवम्बर को रात्रि 8 बजकर 18 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार, 12 नवम्बर को रात्रि 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय रात्रि 8 बजकर 07 मिनट पर होगा। श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना रात्रि में चन्द्र उदय होने के पश्चात् चन्द्रमा को अर्घ देकर किया जाएगा।
ऐसे रखें व्रत
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होना चाहिए। स्नान-ध्यान करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुन: स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, अतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अॢपत करना चाहिए।
ऐसे होगी मनोकामना पूरी
श्रीगणेशजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा में यशगान के रूप में श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश चालीसा एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित अन्य स्तोत्र आदि का पाठ अवश्य करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेशजी से सम्बन्धित मन्त्र का जप करना विशेष लाभकारी रहता है। ऐसी धार्मिक व पौराणिक मान्यता है कि श्रीगणेश अथर्वशीर्ष का प्रात:काल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश होता है। संध्या समय पाठ करने पर दिन के सभी पापों का शमन होता है, यदि विधि-विधानपूर्वक एक हजार पाठ किए जाएं तो मनोरथ की पूॢत के साथ ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रह जनित दोष हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्वविघ्न विनाशक प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान समय में जिन्हें अपने जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज के दिन श्रीगणेश जी का दर्शन-पूजन करके व्रत रखना चाहिए। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष, विद्यार्थियों एवं अन्य जनों के लिए समानरूप से फलदायी है।
श्रीगणेश पुराण के अनुसार श्रद्धा, आस्था, भक्तिभाव से संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली का सुयोग बनता है।
– विमल जैन
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