काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति
मोक्ष की नगरी काशी, जो अलग अलग नामों से जैसे बनारस , आनन्द कानन, वाराणसी के रूप में जाना जाता है। काशी शिव को प्रिय होने के साथ मोक्ष की नगरी है, इस लिए लोग दूर दराज से यहां मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते हैं। काशी में तमाम ऐसे जगह है जहां पर मोक्ष की प्राप्ति के लिए गेस्ट हाउस बने हुए हैं, लोग जहां पर आ कर मृत्यु का इन्तजार करते हैं। ऐसे ही स्थानों में एक स्थान है “काशी लाभ मुक्ति भवन।”
1958 में डालमिया परिवार द्वारा संचालित:
काशी लाभ मुक्ति भवन गोदौलिया के गिरजाघर स्थित गीता मन्दिर के पास स्थित है, यह मुक्ति भवन डालमिया परिवार की ओर से सन् 1958 से संचालित है, यहां तब से लेकर आज तक 14899 लोगों ने मुक्ति को प्राप्त किया है। आपको बता दें कि जयदयाल डालमिया की माता अपने अंतिम दिनों में काशी में मोक्ष प्राप्ति करने के लिए आई हुई थी लेकिन उन्हे यहां अपने मृत्यु तक ठहरने का इंतजाम नही था। तब उन्होंने ही अपने निधि से गरीबों और असहाय के भक्ति भाव को ध्यान में रखते हुए इस ट्रस्ट का निर्माण करवाई थीं। और सबसे खास बात यह है कि जयदयाल डालमिया की माता स्वयं इसी ट्रस्ट में अपनी अंतिम सांस ली। इसके बाद यह ट्रस्ट लगातार मोक्षार्थियों की सेवा में संलग्न है।
प्रबंधन कार्य देखने वाले कालिकांत दूबे जी से प्राप्त जानकारी
आपको बता दें कि मुक्ति भवन के सेवा और प्रबंधन कार्य भार देखने वाले कालिकांत दूबे से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि इस धाम में कोई 7 या 8 सेवादार है जो मोक्षार्थियों की सेवा में दिन रात लगे रहते हैं। मुक्तिधाम के वर्तमान दिनचर्या के बारे में जानकारी दें तो यहां रोज नित्य 6 से 8 बजे तक प्रातः भजन संकीर्तन होता है उसके बाद आरती होती है। इस धाम में भगवान को आरती दिखाए जाने के बाद उन मोक्षार्थियों को भी आरती दिखाई जाती है जो यहां पर मोक्ष की कामना लेकर आते हैं और उनके कान के पास झाल बजा कर उनसे *हरे कृष्णा हरे राम* का उच्चारण करवाया जाता है। यहां पर नित्य नियम से श्री सत्यनारायण भगवान की कथा होती है। इस कथा में जो भी मोक्षार्थी भाग लेना चाहता है वो आकर बैठ सकता है। आपको बता दें कि जो भी व्यक्ति यहां आता है वो आमतौर पर चलने फिरने में असमर्थ होता है। जो भी व्यक्ति यहां आता है वो अपने परिवार के साथ आता है। यानी उसके साथ उसके देखभाल करने के लिए उसके परिवार जन का होना आवश्यक है। भोजन की व्यवस्था उसे स्वयं से करनी होती है। वो चाहे तो बाहर से मंगा कर भी भोजन कर सकता है।
इन क्षेत्रों से अधिक संख्या में आते हैं मोक्षार्थि
यहां पर सबसे ज्यादा तेलंगाना, विजयवाड़ा मध्यप्रदेश जैसे क्षेत्रों से मोक्षार्थि आते हैं। कोविड महामारी के पहले इस धाम में महीने में कुल 12 से 14 मोक्षर्थी आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या में कमी है और 5 से 6 मोक्षार्थी ही महीने भर में आते हैं। यहां पर आने वाले मोक्षर्थियों का पूरा विवरण और उनके परिवारी जनों का विवरण लिया जाता है उसके बाद उन्हें धाम में रहने की अनुमति मिलती है।
‘काशी लाभ मुक्ति भवन’ के अतिरिक्त और भी है मुक्ति धाम
बनारस में वैसे तो कई मुक्ति धाम है, एक अस्सी घाट के पास मुमुक्षु भवन के नाम से और दूसरा काशी विश्वनाथ मंदिर में हाई टेक मुक्ति भवन तथा ऐसे ही कई और भी मुक्ति भवन काशी में हैं।
इतना शांत और पुण्य स्थान आपने शायद ही कहीं देखा होगा
मुक्ति भवन के अंदर के नजारे की बात करे तो वास्तव में यहां सत्संग कक्ष है जहां पर शिव लिंग के साथ कई देवी देवताओं का विग्रह रखा हुआ है और एक अखंड दीप जो वर्ष के 365 दिन लगातार जलते रहते हैं। मुक्ति भवन तीन मंजिल का है जहां शांति की अनुभूति कराने वाली संकीर्तन कानों में गूंजती रहती है। बनारस मोक्ष की नगरी है। यह सात पूरियों में एक है। इस नगरी में जो भी व्यक्ति देह त्यागता है उसे जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। अर्थात वह व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है।
– सौम्या सिंह
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