Home 2022 शिव का ऐसा स्वरूप जिनकी पूजा करने से पूर्ण होती है पुत्र प्राप्ति की कामना

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

शिव का ऐसा स्वरूप जिनकी पूजा करने से पूर्ण होती है पुत्र प्राप्ति की कामना

गंगा के किनारे बसे हुए काशी नगर में ऐसे तो अनगिनत देवी देवता निवास करते हैं। लेकिन इसी काशी में गंगा गोमती के संगम तट पर भूत भावन भगवान शंकर जी का ऐसा भी स्वरूप है। जिनकी सच्चे मन से कामना करने पर संतान की प्राप्ति होती है। ऐसे भोले शंकर का यह स्वरूप काशी में विराजमान है।

आइए जानते हैं कौन हैं ये भूत भावन भगवान शंकर और काशी में कहां हैं इनका धाम।

गंगा-गोमती के तट पर बसे ‘कैथी’ गाँव में स्थित भगवान भूत भावन का मंदिर विश्व विख्यात है। यहाँ का तपोवन काफ़ी विख्यात है। यह गर्ग, पराशर, श्रृंगी, उद्याल आदि ऋषियों की तपोस्थली रहा है। इसी स्थान पर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ती के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था, जिसके परिणाम स्वरूप राजा दशरथ को पुत्र प्राप्त हुआ था। यही वह तपोस्थली है, जहाँ राजा रघु द्वारा ग्यारह बार ‘हरिवंशपुराण’ का परायण करने पर उन्हें उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ था। पुत्र कामना के लिए यह स्थल काफ़ी दुर्लभ है। ‘हरिवंशपुराण’ का परायण तथा ‘संतान गोपाल मंत्र’ का जाप कार्य सिद्धि के लिए विशेष मायने रखता है। पुत्र इच्छा पुर्ति के लिए इससे बढ़ कर सिद्धपीठ स्थान कोई दूसरा नहीं है।

आइए जानते हैं किससे जुड़ा है यह सिद्ध पीठ और क्या है कहानी
यह सिद्ध पीठ मार्कण्डेय ऋषि से जुड़ा हुआ है । एक बार नि:संतान मृकण्ड ऋषि तथा उनकी पत्नि मरन्धती को किसी ने व्यंग्य करके अपमानित किया कि बगैर पुत्र के उनका वंश नहीं बढ़ पाएगा तब उन्होंने संतान की कामना से पहले ब्रह्मा जी की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने बताया कि उनके भाग्य को सिर्फ भगवान शिव बदल सकते हैं, फिर उन्होंने महादेव की कठिन तपस्या की और उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान पाया, लेकिन वरदान देते समय भगवान शिव ने उनसे कहा कि उनका पुत्र सिर्फ 12 साल तक ही जीवित रहेगा। इसके बाद उनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा।

क्या है इस मंदिर का महात्म्य

मार्कण्डेय महादेव मंदिर में त्रयोदशी (तेरस) का भी बड़ा महत्व होता है। यहां पुत्र रत्न की कामना व पति के दीर्घायु की कामना को लेकर लोग आते है। यहां महामृत्युंजय, शिवपुराण , रुद्राभिषेक, व सत्यनारायण भगवान की कथा का भी भक्त अनुश्रवण करते हैं। महाशिवरात्रि पर दो दिनो तक अनवरत जलाभिषेक करने की परम्परा है।

क्यों लौटना पड़ा यमराज को उल्टे पांव

यही वह स्थान है जहां यमराज को भी भगवान के शिष्य मार्कण्डेय के सामने शीश नवाना पड़ गया था। इस प्रकार भगवान शंकर की तपस्या करके मार्कण्डेय ऋषि अपने मृत्यु के ऊपर विजय पाए थे।
कहानी यह है कि समय के साथ जब मार्कंडेय को अपनी अल्पायु के बारे में पता चला तो उसने उन्हीं महादेव के लिए तप करना शुरु किया जिनके आशीर्वाद से उनका जन्म हुआ था।
शिव की भक्ति में तल्लीन मार्कण्डेय की आयु समाप्त होने पर जब यमराज उनके प्राण हरने आए तब शिव जी स्वयं मार्कण्डेय के प्राणों की रक्षा किए और उन्हें अमर होने का वरदान दिया। शिव जी के इसी वरदान की वजह से यमराज को मार्कण्डेय के बिना प्राण लिए खाली हाथ वापस लौटना पड़ा । तब से इस स्थान पर मार्कण्डेय और शिव की पूजा एक साथ होती है।

कहां है यह धाम

मारकण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है। विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपनी दुःखों को दूर करने के लिए यहाँ आते हैं। काशीराज दिवोदास की बसाई दूसरी काशी, जो ‘कैथी’ के नाम से वर्तमान समय में प्रचलित है। ऋषि मारकण्डेय शैव-वैशणव एकता के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह वाराणसी से करीब 30 किमी दूर चौबेपुर क्षेत्र में गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित है।

– सूरज चौबे


नवीनतम

काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति

जानिए पूजा का सही समय …आखिर दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?

मार्गशीर्ष मास : हिंदी के नौवा महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल

मार्गशीर्ष मास : हिंदी के इस आठवें महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल

काशी में जब राक्षसी बन जाती है एक दिन की देवी , प्रसाद में चढ़ता है बैगन और मूली

देव दीपावली : मनाये जाने की ये हैं वजह और किसने किया काशी में गंगा आरती की शुरुआत

बैकुंठ चतुर्थी : सिर्फ आज चढ़ता हैं महादेव को तुलसी और हरि को बेलपत्र, करें ये उपाय धन में होगी बरसात

वैकुंठ चतुर्दशी : 14000 पाप कर्मों का दोष को दूर करे इन तीन कथाओं को पढ़ कर


विशेष चन्दग्रहण 8 – 11 -2022

Lunar Eclipse 2022: चंद्र ग्रहण के बाद ऐसे करें घर के मंदिर की साफ सफाई

Lunar Eclipse 2022: कोर्ट कचहरी, शत्रु मुक्ति रोजगार में तरक्की और शत्रु पर विजय के लिए आजमाये ये उपाय

जानिए, आपके घर से कब दिखेगा ग्रहण का चाँद, भारत के प्रमुख शहरों का हाल

चंद ग्रहण : सूतक की वजह से काशी के मदिरों का कब रहेगा कपाट बंद

चंद्र ग्रहण 2022 : आपके राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव और राशि के अनुसार क्या करना चाहिए दान

खग्रास चन्द्रग्रहण 8 नवम्बर, मंगलवार :क्या हैं समय, किन किन देशों दिखेगा ग्रहण , क्या होता हैं सूतक काल साथ ही पढ़िए आप और देश पर इसका प्रभाव

देव दीपावली 2022 : जानिये चंद्र ग्रहण के कारण कब मनेगा देव दीपावली, क्या करें और क्या न करे ..

चंद्र ग्रहण 8 नवम्बर 2022 : जानिए पूरी बातें, सूतक में न करें ये उपाय

नवम्बर में पांच ग्रह बदलेंगे अपनी चाल, प्रभावित होंगे सभी राशियों के जातक

प्रेग्‍नेंट हैं तो चंद्रग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, हो सकता है ….

चन्द्रग्रहण : आपके राशि पर क्या पड़ेगा ग्रहण का प्रभाव


प्रदोष व्रत : करिये दु:ख-दारिद्र्य का नाश, पाइये जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली अपार

कर्ज की समस्या से मुक्ति के लिए देवउठनी एकादशी पर करे ये उपाय


व्रत – त्यौहार

कब हैं शनि प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भीष्म पंचक 2022 : 4 नवंबर से शुरुआत हो रही हैं इस व्रत की जानिए पूरी जानकारी

अक्षय नवमी पर आंवला के पेड़ के नीचे आखिर क्यों बनाया जाता है भोजन ? क्या है इस दिन की पूजा का विधान जो लाता है जीवन में सुख और सौभाग्य…

देवउठनी एकादशी 4 नवंबर – इसलिए होता है ये ख़ास दिन , जानिये मुहूर्त और महत्त्व

चन्द्रग्रहण : आपके राशि पर क्या पड़ेगा ग्रहण का प्रभाव


वार्षिक जन्मदिन फल

दैनिक राशिफल 8 नवंबर 2022 : जानिए आपके राशि के अनुसार आज क्या होगा शुभ

जन्मदिन राशिफल 08 नवंबर 2022 : आज जन्मे जातको की ख़ास बातें, कैसा रहेगा पूरा साल

पंचांग 8 नवंबर 22 – आज के शुभ घड़ी के साथ जानिए किस दिशा का यात्रा हैं वर्जित

वार्षिक जन्मदिन राशिफल : 7 नबम्वर को जन्मे जातकों के लिए होगा यह वर्ष ख़ास..पढ़िए पूरी बातें

आज जिनका जन्मदिन हैं, जानिए अगले एक वर्ष के शुभ फल


साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशि फल 07 से 13 नबंवर तक : जानिए वो बातें जिससेl आपको मिलेगा नयी राह


– वास्तु – टोटका p

वास्तु : घोड़ा के नाल से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि बचाती है बुरी नजर से भी

यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन

परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय


– इन्हें भी जानिए

जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त

गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास


मानो न मानो

आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….

वह बूढ़ा…


जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया

गोपाष्टमी पर्व :आइए जानते हैं गोपाष्टमी पर्व का महत्व, कथा, पूजा विधि तथा इस दिन करने वाले महा उपाय, जिससे जीवन भर रहेगी घर में धन, वैभव,और संपदा

डाला छठ : आखिर क्यों नहीं पहनते सिलाई किए हुए कपड़े

जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?

डाला छठ : इसलिए लगाया जाता है नाक से सिंदूर

छठ पूजा – क्या है “कोसी भराई”, क्या महत्त्व और विधि है “कोसी सेवना” का

छठ महापर्व : ठेकुआ के साथ और क्या चढ़ता है प्रसाद

जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया


उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी पसंद – नापसंद जरूर बताएं। और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी ” के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है।9889881111


खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in


यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123


डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।

Author: Admin Editor MBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!