अष्ट दिवसीय काशी कोतवाल भैरव उत्सव : काशी में कार्य सिद्ध हो, इसके लिए योग्यवान होना जरूरी : पूज्यश्री वसंतविजयजी
– काशी कोतवाल भैरव उत्सव में आज होगा मां का चमत्कारिक देवीय सुखदायक अलौकिक एहसास
– भैरव उत्पत्ति वआदिशक्ति कृष्णगिरी वाली मां पद्मावतीजी के शुक्रवार व्रत कथा का नाट्य मंचन भी होगा
वाराणसी। दैवीय पुण्यधरा काशी में भैरव अष्टमी पर्व के मद्देनजर अष्ट दिवसीय काशी कोतवाल भैरव उत्सव–2022 के तहत राष्ट्रसंत विश्वशांतिदूत श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, सर्वधर्म दिवाकर, पूज्यश्री डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब की निश्रा में भव्यातिभव्य, आध्यात्मिक भैरवदेव की संगीतमय भक्ति के साथ हर्षोल्लास से आयोजित हो रहा है। स्थानीय नरिया–सुंदरपुर स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में गुरुवार को अष्ट दिवसीय इस आयोजन के दूसरे दिन वैश्विक स्तर पर हजारों की संख्या में शामिल हुए देश और दुनिया के श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि काशी आए हैं तो सभी के कार्य सिद्ध होने चाहिए, इसके लिए योग्यवान होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कलयुग में भैरव भक्ति की दैवीय शक्ति व्यक्ति के दुख मुक्ति की ओर बढ़ने के मार्ग को शीघ्रता से प्रशस्त करती है। इस दौरान उन्होंने “भिन्न मति भिन्न गति..” का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि विभिन्न कर्मों के फल अलग-अलग जन्म लेने वाले प्राणी की बुद्धि भी भिन्न ही होती है। यानी कैसी भी मति व गति के हों, संयोग से काशी में व्यक्ति का आगमन हो, अथवा यहां जन्म पुण्य से भाग्यरुपी लहर का धक्का किनारे लाकर तार सकता है क्योंकि वैकुंठ से अनेक देवी देवता भी काशी नगरी की इस धरा में आने के लिए तरसते हैं। उन्होंने कहा कि संतों के पास व्यक्ति को भक्ति के लिए ही पहुंचना चाहिए। श्रद्धा पूर्ण भक्ति की शक्ति पूर्ण विश्वास से श्रद्धावान के मनोरथ के सभी कार्य स्वत: कर देती है। परमात्मा की पूजा में विधि भले ही कम हो मगर श्रद्धा में कमी नहीं होनी चाहिए। प्रसंग वश मय उदाहरण के आध्यात्म योगीराज संतश्री वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि भक्ति में प्रभु को अपना बनाने व उनका बन जाने की जरूरत है। भगवान को रिझाने की नहीं, बल्कि अपना बनाने की सीख देते हुए वे बोले व्यक्ति को अपने शरीर की शक्ति का एहसास ही नहीं है। मनुष्य जन्म को उन्होंने दुर्लभ भी बताया। साथ ही साधना के शिखर पुरुष पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि ब्रह्मांड की समस्त शक्तियां व ऊर्जा प्राप्त करने की ताकत 84 लाख योनियों में सिर्फ सीधा चलने वाले मनुष्य शरीर के पास ही है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड की एक करोड़ अस्सी लाख तरंगों से मनुष्य सुखी और दुखी होता है। इस मौके पर उन्होंने धन, समृद्धि, यश–कीर्ति आकर्षित करने वाली विभिन्न योगिक क्रियाओं का अभ्यास भी उपस्थित श्रद्धालुओं को करवाया। उन्होंने कहा कि स्वार्थ छोड़ें तथा ईश्वर के हो जाएं यदि उनके बन गए तो उनकी अथाह संपत्ति के मालिक भी बन जाओगे। आयोजन स्थल पर भैरव देव की स्वर्णाकर्षण भैरव–भैरवीजी की दिव्य प्रतिमा सहित 9–9 फीट की अष्ट भैरव की दर्शनीय मूर्तियां भी स्थापित की गई है। सौ फीट की मूर्ति भी शुक्रवार को स्थापित होगी। वहीं 1,08,000 भैरव मूर्तियों का भी निर्माण कार्य गंगाजी की पवित्र मिट्टी से श्रद्धालुओं द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। कार्यक्रम में सुबह के सत्र में पूजा, जप, साधना, आराधना का क्रम जारी रहा तथा शाम के सत्र में हवन–यज्ञ में आहुतियां दी गई। आयोजन का सीधा प्रसारण पूज्य गुरुदेव के अधिकृत वेरीफाइड यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर प्रसारित हो रहा है। रात्रि में मशहूर गायक कलाकार हेमंत बृजवासी ने अपनी भक्तिमय प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान विद्यासागर संतश्री वसंतविजयजी म.सा. ने महामना एवं आदर्श पुरुष काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता पंडित मदन मोहन मालवीयजी के शैक्षिक क्षेत्र में योगदान एवं विशेषताओं का उल्लेख भी किया।
वैश्विक स्तर पर मां के चमत्कारिक अनुभव होंगे आज..
श्री आदिशक्ति जगतजननी राजराजेश्वरी कृष्णगिरीवाली नागरानी देवी मां पद्मावतीजी के प्रिय शुक्रवार को साक्षात प्राकट्य के अनुभव का एहसास वैश्विक स्तर पर 11 नवंबर, शुक्रवार को होगा। श्रीपार्श्व पद्मावती के आराध्य भैरव देव के सिद्ध साधक पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा. आयोजन स्थल के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव देखने वालों को मां के एहसास को विभिन्न प्रकार की खुशबू, कुमकुम, केसर–चंदन की वर्षा तथा धन प्राप्ति के साथ दैवीय शक्ति का अलौकिक एहसास कराएंगे। दोपहर 1:30 बजे से श्री भैरव महाकथा वाचन के दौरान आयोजन के तीसरे दिन यह चमत्कारिक अनुभव होगा। इससे पूर्व प्रातः 10 बजे से भैरव उत्पत्ति–महिमा की प्रस्तुति होगी और शाम को मां पद्मावतीजी के शुक्रवार व्रत कथा का नाट्य मंचन उज्जैन के 30 कलाकारों द्वारा किया जाएगा।
– सूरज चौबे
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