एक ऐसा गीत जिसमें नहीं होती है शास्त्रीय नियमों की बाध्यता
गीत संगीत एक ऐसा माध्यम है जिससे एक संगीतकार अपने मनो भावों को प्रकट करता है | समाज मे अनेकों प्रकार के गीत गाए जाते हैं | हर क्षेत्र का अपना गीत होता है | जिसे लोग अपना खुशी या दुख प्रकट करते हैं | आज हम आपको ऐसे गीत के बारे में बताने जा रहे जो लगभग सभी क्षेत्रों के वासी अपने अपने भाषा मे गाते हैं | जिसे लोकगीत कहा जाता है |
लोकगीत को एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा समाज अपनाता है | लोकगीतों की परंपरा सदियों से चली आ रही है | वर्तमान समय में लोकगीत ज्यादातर गांव में सुनने को मिलता है |हालांकि पहले की अपेक्षा अभी ये कम सुनने को मिल रहा है लेकिन फिर भी इसका समाज मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान है |सामन्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोक गीत कहा जाता है |
उसमें शास्त्रीय नियमों का विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि सामान्य लोक व्यवहार के उपयोग में लाने के लिए व्यक्ति अपने मनोस्थिति के अनुसार इसकी रचना करता है |लोक गायिकी की ठेठ देशज आवाज हर किसी को अपने प्रांत, अपने गांव लेकर जाती है।
विवाह, विरह, विदाई और छठ जैसे मौकों पर हम इनकी तरफ लौटते ही हैं। लेकिन उसके पीछे कारण यह है कि इस बदलते दौर में भी कई गायिकाओं ने लोक गायिकी को अब तक बचाए रखा है। जिसमें मशहूर लोक गायिका अभी भी लोगों के दिलों पर राज कर रहीं हैं | जैसे शारदा सिन्हा लगभग 40 सालों से लोक गीत गायन कर रहीं हैं | इनका मशहूर गानों में ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’, ओ री सासू बता तूने ये क्या किया आदि हैं | उसके बाद मालिनी अवस्थी, चैत के महीने में गाई जाने वाली चैती हो या कजरी, बुंदेली, अवधी और भोजपुरी गीत। मालिनी अवस्थी की आवाज में हर लोकगीत शोभा देता है। उत्तरप्रदेश के आंचलिक गीतों के साथ ही वे ठुमरी और कजरी भी गाती हैं। मालिनी 11 फरवरी 1967 में उत्तरप्रदेश के कन्नौज में पैदा हुई थीं। उन्होंने 5 साल की उम्र से गाना शुरु कर दिया था। इसके बाद वे भातखण्डे संगीत संस्थान से प्रशिक्षण लेकर निकलीं तो देश में लोकगीत की आवाज बन गईं। वे बनारस घराने की पद्मविभूषण विदुषी गिरिजा देवी, पौराणिक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायिका की शिष्या हैं। ऐसे ही और भी लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने अपने हुनर से सबको हैरान कर दिया है। अब वे पूरे देश में शो कर रही हैं। फेसबुक और यूट्यूब पर उनके लाखों प्रशंसक हैं। वे लोक गायिकी मे तेजी से उभरता नाम है | ऐसे ही लोक गायक एवं गायिका आज भी इस लोक गीत को आगे ले जाने का लोगों के दिलों तक पहुचाने का काम कर रहे हैं |
– जया पाण्डेय
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