विश्व का एक मात्र मंदिर, जहां कोई प्रतिमा नहीं बल्कि है अखंड राष्ट्र का नक्शा
आप इस बात को सुन कर चौंक गए होंगे कि क्या वास्तव में ऐसा कोई मंदिर है जहां किसी भी देवी देवता की मूर्ति न होकर बल्कि किसी देश का नक्शा बना हो। सभी लोग उस नक्शे की पूजा करते हों।
जी हां, आप को बता दें कि मंदिरों के शहर बनारस में जहां मान्यता है कि 33 कोटि देवी देवता निवास करते हैं। वहां एक ऐसा भी मंदिर है जहां कोई देवी देवता ही नहीं बल्कि भारत का नक्शा बनाया गया हो, और भारत वासी उस नक्शे की पूजा भी करते हों। वास्तव में यह मंदिर प्रसिद्ध पूजा स्थलों से हटकर एक अनोखा मंदिर है और इस मंदिर का नाम है भारत माता का मंदिर।
भारत माता मंदिर की देख रेख करने वाले राजू सिंह बताते हैं कि इस मंदिर के गर्भगृह में एक चौकोर मंडप के नीचे अखंड भारत के भू भाग का एक विशाल मानचित्र है और इसे जमीन पर बनाया गया है। यह भूचित्र संगमरमर के मकराना पत्थर से उकेरा गया है।
राजू बताते हैं कि जब भारत में अंग्रेजी शासन हुआ करता था। उस समय भारत में अंग्रेजी सरकार के हुकूमत के विरुद्ध कोई भी काम करना बहुत ही मुश्किल होता था। इस प्रकार के कामों से अंग्रेजी हुकूमत की तौहीन होती थी। जिसकी सजा भारतीयों को भोगनी पड़ती थी।
उस दौरान काशी में राष्ट्र रत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने लगभग 10 लाख रुपये से इस मंदिर का निर्माण कराया था। निर्माण के बाद सन् 1936 महात्मा गांधी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया और देशवासियों में राष्ट्र के प्रति प्रेम और श्रद्धा को और भी प्रशस्त करने का कार्य किया।
मंदिर के निर्माण पर क्या बोले थे महात्मा गांधी
जब यह मंदिर बन कर तैयार हुआ तब उद्घाटन के दौरान महात्मा गांधी ने कहा था कि,
यहां संगमरमर पर उभरा हुआ भारत का मानचित्र भर है। मुझे आशा है कि यह मंदिर सभी धर्मों और जातियों और विश्वास के लोगों के लिए सार्वदेशिक मंच का रूप ग्रहण कर लेगा और देश में पारस्परिक धार्मिक एकता, शांति तथा प्रेम की भावनाओं को बढ़ाने में बड़ा योगदान देगा
।
इस मंदिर को काशी के ही शिल्पी दुर्गाप्रसाद और उनके साथियों ने मिलकर बनाया। उन्होंने संगमरमर पर भारत माता के नक्शे को उकेरने में अथक परिश्रम किए तथा अपनी अद्वितीय योग्यता से इस असाध्य जिम्मेदारी को निभाई।
कैसा है मंदिर की बनावट
यह मंदिर अगर आप बाहर से देखेंगे तो आपको केवल पत्थर का एक ढांचा भर ही दिखाई देगा। लेकिन मंदिर में अंदर आने पर आपको यह ज्ञात हो पाएगा कि
मंदिर का परिमाण अर्थात लंबाई और चौड़ाई 31 फुट 2 इंच और 30 फुट 2 इंच है। इसे बनाने में 11-11 इंच के 762 टुकड़े और कुछ और छोटे-मोटे टुकड़े काम में लाए गए हैं।
भारत के पड़ोसी देश भी शामिल
इस मंदिर अखंड भारत का एक नक्शा है इस वजह से वर्तमान समय के हिसाब से देखा जाए तो इसमें हमारे पड़ोसी मुल्क भी शामिल हैं।
भारत भूमि के इस मानचित्र में उत्तर में पामीर पर्वत शिखरों से लेकर दक्षिण में सिंहल द्वीप के दक्षिणी छोर तक और पूर्व में मौलमीन तथा चीन की प्रसिद्ध प्राचीन दीवार कहकहा से लेकर पश्चिम में हेरात तक का भूभाग दिखाया गया है। भारत वर्ष के साथ ही इसके समीपवर्ती अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, भोट (तिब्बत), ब्रह्मादेश (म्यांमार), सिंहल (लंका) और मलाया प्रायद्वीप का हिस्सा भी दिखाया गया है।
कहां है यह मंदिर
भारत माता का यह मंदिर वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से पूरब की ओर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के प्रांगण से सटा हुआ चंदुआ सट्टी बाजार के ठीक सामने स्थित है। यहां देश विदेश से तमाम पर्यटक और सैलानी आते रहते हैं। यह भारत माता का मंदिर भारत की भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक एकरुपता का केंद्र है।
– सूरज चौबे
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