तीसरा दिन,काशी कोतवाल भैरव उत्सव : भैरव देव की महिमा एवं मां पद्मावती के नाट्य मंचन ने किया भक्तों को मंत्र – मुग्ध
वाराणसी। नरिया–सुंदरपुर स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान के भव्य श्रीभैरव दरबार में भारत के 25 राज्य एवं दुनिया के 20 देशों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने अनेक दुर्लभ बीज मंत्रों की स्तुतियों का वाचन कर अपने को लाभांवित किया। साथ ही समस्त चमत्कारिक अनुभवों को देवी मां पद्मावतीजी को समर्पित करते हुए वचनसिद्ध वसंतविजयजी बोले, एक संत को उसकी तप, साधना से अपनी शक्ति का एहसास कराने वाली तथा उन्हें इस धरा पर यश, कीर्ति के साथ लोक कल्याण के मार्ग प्रशस्त करने वाली मां पद्मावतीजी व भैरवदैव सदैव वंदनीय है। आयोजन स्थल पर प्रतिदिन 1,08,000 भैरव मूर्तियों के निर्माण का क्रम निर्बाध गति से जारी है। सुबह के सत्र में पूजा, जप, साधना, आराधना की जा रही है। शुक्रवार को भैरव देव की महिमा एवं मां पद्मावती जी के नाट्य मंचन की प्रस्तुति उज्जैन के 30 कलाकारों द्वारा दी गई।
अनेक जरूरतमंदों को किया कंबल वितरण, भैरव कथा मिटाएगी सबकी व्यथा..
आयोजन स्थल पर बसंतविजय जी बड़ी संख्या में निर्धन परिवारों एवं जरूरतमंद लोगों को कंबलों का वितरण किया। यह क्रम 16 नवंबर, भैरवाष्टमी को भी जारी रहेगा, जब करीब चार हजार ज़रूरतमंद लोगों को राशन किट व कंबलों का वितरण किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं है। किसी को शारीरिक, किसी को मानसिक तो किसी को आर्थिक परेशानी है। हर व्यक्ति किसी न किसी दुख, पीड़ा सहित अनेक कष्टों से जूझ रहा है। भैरव देव के सिद्ध साधक, वसंतविजयजी ने कहा कि भैरवाष्टमी पर्व के मद्देनजर काशी कोतवाल भैरव कथा वाचन तथा अद्वितीय यज्ञ–हवन के धुएं से लोगों की अनेक प्रकार की व्यथा मिटाने यहां आया हूं। वहीं विभिन्न दिशाओं में अलग–अलग वाहनों व शस्त्रों के साथ अष्टभैरव के दर्शन से अनेक प्रकार के दुख तथा शत्रुओं का नाश होगा एवं सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति की प्राप्ति होगी। आवश्यकता श्रद्धा पूर्वक विश्वास के साथ भैरव दर्शन एवं भैरव भक्ति की होनी चाहिए।
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