तमाम सम्भवनाओं के प्रतिपालन के साथ सम्पन्न हुआ दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मलेन
ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के दूसरे दिन देश भर के लगभग 300 से अधिक ज्योतिर्विदों ने भाग लिया । सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने ज्योतिषशास्त्र के व्यावहारिक बिन्दुओं पर अपने अनुभव बतलाए, साथ ही पारम्परिक शास्त्रों के संरक्षण एवं सम्वर्धन में वर्तमान शासन के द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों सहित दृष्टिकोण को भी बतलाया कि वेद एवं वेदांग सहित भारतीय संस्कृति एवं थाती के संरक्षण से ही भारत अपने पूर्ण स्वरूप में प्रतिष्ठापित हो सकता है।
वर्तमान समय में धर्मार्थकाम पुरुषार्थ की प्राप्ति में ज्योतिषशास्त्र के पक्षों पर चर्चा करते हुए सारस्वत अतिथि प्रो. चन्द्रमौली उपाध्याय जी ने सामाजिक जीवन में ज्योतिषीय पक्षों के समन्वय की बात कही।
विशिष्ट अतिथि के रूप में का.सि. दरभंगा संस्कृत वि.वि. के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. रामचन्द्र झा ने ज्योतिषशास्त्र में वर्णित चतुर्विध पुरुषार्थ का शास्त्रीय विवेचन कर ज्योतिषशास्त्र के कर्मविपाक् सिद्धान्त पर बल दिया।
सम्मानित अतिथि नेपाल से आए प्रो. जयन्त पाल ने भारतीय ज्योतिष के सैद्धान्तिक पक्षों को उपस्थापित करते हुए भारत नेपाल समन्वय के साथ पंचांगों के समन्वय की बात रखी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संकायप्रमुख प्रो. कमलेश झा ने ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक पक्षों का निदर्शन करते हुए ज्योतिष विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
अतिथियों का स्वागत एवं सम्मेलन की उपलब्धि बतलाते हुए ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामजीवन मिश्र ने सम्मेलन की गतिविधि का प्रस्तुतीकरण करते हुए इसकी सफलता के आयाम प्रस्तुत किए।
समापन सत्र का उद्घाटन वैदिक एवं पौराणिक मंगलाचरण के साथ दीपप्रज्ज्वलन के अनन्तर हुआ। प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री द्वारा सम्पादित ग्रन्थ ‘‘शुक चन्द्रिका’’ का मंचस्थ अतिथियों के द्वारा लोकार्पण हुआ। सत्र का संचालन विभागीय प्राध्यापक डॉ. सुभाष पाण्डेय द्वारा किया गया।
समापन सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने वैदिक वाङ्मय एवं वेदांग में निहित ज्योतिषशास्त्र की प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रो. अमित कुमार शुक्ल ने सिद्धान्त ज्योतिष में व्याप्त पुरुषार्थ चतुष्टय पर विस्तृत परिचर्चा प्रस्तुत की। डॉ. देशबन्धु शर्मा ने वास्तुशास्त्र एवं काम पुरुषार्थ को कुण्डली एवं संहिता के आधार पर प्रतिपादित किया।
डॉ. लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी ने हस्तरेखा के आधार पर पुरुषार्थ चतुष्टय पर गहन चर्चा की। डॉ. निर्भय कुमार पाण्डेय ने भी पुरुषार्थ पर विचार प्रस्तुत किया। डॉ. रामेश्वर शर्मा ने सत्र संचालन किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. भारत भूषण मिश्र, प्रो. सुब्रह्मण्यम, प्रो. विनय कुमार पाण्डेय, प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, डॉ. सुशील गुप्ता, डॉ. रामेश्वर शर्मा, डॉ. राहुल मिश्र, श्री धवल उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।
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