काशी दर्शन : अकाल मृत्यु को टालने के लिए स्वयं धरती का सीना फाड़ कर निकले शिवशंभु
आज उस अलौकिक शक्ति के बारे में जहां के दर्शन मात्र से ही खत्म हो जाता है अकाल मृत्यु का डर, जहां कण-कण में शिव विराजते हैं, जहां का पत्थर भी शंकर कहलाता है। बाबा की नगरी काशी में शंकर के अलग-अलग कितने रूप हैं कि यदि आप दर्शन करने की इच्छा जाहिर कर दें तो शायद जीवन ही कम पड़ जाए। ऐसे में महत्वपूर्ण शिवालयों में से एक है ‘महामृत्युंजय मंदिर’ काशी के दारानगर इलाके में स्थित महामृत्युंजय का यह मंदिर जीवन के हर कष्ट के साथ ही मृत्यु के भय से भी मुक्ति दिलाता है। इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी कथाएं भी हैं जो मृत्यु के मुंह में गए लोगों को वापस लेकर आई है।
‘महामृत्युंजय मंदिर’ भोलेनाथ के इस स्वरूप को महामृत्युंजय इसलिए कहा जाता है क्योंकि शिव का यह स्वरूप मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला है शिव के इस मंदिर में काल भी आने से घबराता है और मृत्यु शैया पर पड़ा व्यक्ति भी शिव के महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति से नया जीवन पाता है।
इस मंदिर में आने से यम भी डरते हैं
भोलेनाथ 8 हाथों के साथ भक्तों के कष्टों को हरने के लिए विकराल रूप में विराजमान हैं। हर हाथ में अलग-अलग अमृत कलश के साथ ही माला और आशीष देते हुए बाबा भोलेनाथ भक्तों के हर कष्ट को हरने के साथ ही उनको मृत्यु से होने वाले कष्ट से मुक्ति दिलाने का काम करते हैं अमृत कलश से भक्तों के जीवन की रक्षा करते हैं।
सोमवार दर्शन से समस्त दुखों का नाश
यदि 40 सोमवार नियमित तौर पर यहां कोई हाजिरी लगाएं और भगवान महामृत्युंजय को दूध और जल अर्पित करें तो अकाल मृत्यु के भय के साथ जीवन के समस्त दुखों का नाश हो जाता है।
धनवंतरी कूप
इसका पानी पीने मात्र से ही सारे कष्टों का नाश हो जाता है और सबसे महत्वपूर्ण इस शिवलिंग का दर्शन करने और इसके जल का आचमन करने मात्र से ही अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है यही वजह है कि इस मंदिर में 12 महीना 30 दिन महामृत्युंजय का अनुष्ठान जारी रहता है, देश-विदेश में अपनों के जीवन रक्षा के लिए लोग संकल्प लेने के बाद यहां पर पुरोहितों से अनुष्ठान को संपन्न कराते हैं।
काशी में अनादि काल से ये मंदिर
यह मंदिर कब का है और कितना पुराना है इसका कोई प्रमाण देने वाला नहीं है। क्योंकि जब काशी को भगवान भोलेनाथ ने अपने त्रिशूल की नोक पर स्थापित किया तब काशी के जिस इलाके में यह मंदिर स्थापित है वहां पर दारावन हुआ करता था, इसी वन में धरती की गोद से शिवलिंग प्रकट हुआ और तब से लेकर अब तक भगवान भोलेनाथ के इस भव्य शिवलिंग की आराधना काशी में होती आ रही है।
मंदिर का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि यहां पर आने वाले भक्तों की असाध्य रोगों से भी रक्षा होती है, काशी के खंडोक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल महामृत्युंजय के मदिर में प्रतिदिन दर्शन करने वालों की भीड़ लगी होती है। प्रत्येक सोमवार को सबसे अधिक दशनार्थी यहां पर पहुंचते हैं धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ यहां पर महामृत्युंजय महादेव के रुप में विराजमान है।
– सौम्या सिंह
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