काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान संग मस्ती
काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान
वरूणा और असि से मिल कर बना शहर बनारस। गंगा,बानगंगा के साथ वरुणा और असि यहां की दो प्रमुख नदिया है। विश्व का सबसे प्राचीन शहर हैं। पर्यटकों के लिए यह पंसदीदा जगहों में से एक इसको मंदिरों का शहर भी कहा जाता है यहाँ पर प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के साथ – साथ और भी ऐसी प्राचीन मंदिर स्थित है जिसका अपना एक इतिहास रहा है। बनारस मंदिरों के साथ – साथ कुंड और तालाबों के लिए भी जाना जाता है । वाराणसी की कला और संस्कृति अद्वितीय है। यहाँ पर घाटों पर हुई चित्रकारी आपने आप में बनारस का वर्णन करते नजर आती है। बनारस शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व बनाये हुऐ है यहाँ पर तीन विश्व विद्यालय स्थित हैं। यह वाराणसी की समृद्ध संस्कृतिक परंपरा है जिसकी वजह से यह भारत की संस्कृतिक राजधानी कही जाती है। हालांकि वाराणसी मुख्य रूप से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन वाराणसी में पूजा और धार्मिक संस्थाओं के कई धार्मिक विश्वासों की झलक पा सकते हैं। वाराणसी, भारतीय कला और संस्कृति का पूरा एक संग्रहालय प्रस्तुत करता है। वाराणसी में इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलते पैटर्न और आंदोलनों को महसूस कर सकते हैं। सदियों से वाराणसी ने मास्टर कारीगरों का उत्पादन किया है और अपनी सुंदर साड़ी, हस्तशिल्प, वस्त्र, खिलौने, गहने, धातु का काम, मिट्टी और लकड़ी और अन्य शिल्प के लिए नाम और प्रसिद्धि अर्जित की है।वाराणसी ने कई प्रसिद्ध विद्वानों और बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है । जैसे – भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, उस्ताद बिस्मिल्ला खां, पंडित रविशंकर जैसे और भी ना जाने कितने महान लोगों ने यहां जन्म लिया और अपनी प्रतिभा से देश और दुनिया में अपनी एक अलग जगह बनाई। संगीत, नाटक, और मनोरंजन वाराणसी के साथ पर्याय रहे है और अपने खुद के नृत्य परंपराओं, वाराणसी लोक संगीत और नाटक, मेलों और त्योहारों, अखाड़े, खेल आदि का एक बहुत ही पुराना केन्द्र रहा है।
संगीत
तबला वादकों में कंठे महाराज, अनोखे लाल, गुदई महाराज, कृष्णा महाराज देश- विदेश में अपना नाम कर चुके हैं। शहनाई वादन एवं नृत्य में भी काशी में नंद लाल, उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ तथा सितारा देवी जैसी प्रतिभाएँ पैदा हुई हैं।
फ़िल्में और गाने
बनारस – ए मिस्टिक लव स्टोरी बनारस शहर में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है। इस फ़िल्म में बनारस की गलियों, घाटों और मंदिरों को एक प्रेम कहानी में पिरोया गया है। 1978 की सुपरहिट हिन्दी फ़िल्म डॉन का गाना खई के पान बनारस वाला अमिताभ बच्चन के साथ बनारसी पान की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।
खानपान
गोदौलिया चौक पर बहुत स्वादिष्ट भोजन मिलता है। यहाँ पर ख़ास थाली मिलती है। इस भोजनालय की ख़ास बात है कि यहाँ भोजन लकड़ी के आग पर बनाया जाता है। इस भोजन को बनाने में प्याज और लहसुन का भी उपयोग नहीं होता है।
कचौड़ी-सब्जी सुबह के नाश्ते के लिए मशहूर है।
यहां कचौड़ी-सब्जी प्रसिद्ध है।
बनारसी पान
बनारसी पान दुनिया भर में मशहूर है। बनारसी पान चबाना नहीं पड़ता। यह मुँह में जाकर धीरे-धीरे घुलता है
बनारसी साड़ी
बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।उत्तर भारत में अधिकांश औरते साड़ी ही पहनना पसंद करती हैं। यही यहां की संस्कृति है ।
– जया पाण्डेय
नवीनतम
एक ऐसा गीत जिसमें नहीं होती है शास्त्रीय नियमों की बाध्यता
विश्व का एक मात्र मंदिर, जहां कोई प्रतिमा नहीं बल्कि है अखंड राष्ट्र का नक्शा
पापों का हरण करती गंगा से भी प्राचीन नदी “वरुणा”
जानिए कैसे बनी काशी संगीत की नगरी ?
काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति
भैरव विशेष (भैरव अष्टमी 16 नवंबर )
भय निवारण भैरव का सौम्य स्वरूप कमच्छा के बटुक भैरव
16 नवंबर काल भैरव अष्टमी, काल भैरव की उपासना का महत्व तथा स्वरूप करें यह अचूक उपाय होगा महा लाभ….
दैनिक पंचांग
पंचांग : 14 नवंबर 2022 का शुभ समय और नक्षत्र और दिशाशूल
जन्मदिन राशिफल
जिनका आज जन्मदिन है : आप करें शुभ रंग, दिन और महीना में नया काम मिलेगा….
जन्मदिन 13 नवंबर 2022: आज जन्मे जातकों में होता है ये विशेष बात, पुरे साल का जानिए हाल
आज का राशिफल
आज का राशिफल : आपके राशि के चाल अनुसार 14 नवंबर को रहेगा….
साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशि फल 07 से 13 नबंवर तक : जानिए वो बातें जिससेl आपको मिलेगा नयी राह
व्रत – त्यौहार
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के नौवा महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के इस आठवें महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
प्रदोष व्रत : करिये दु:ख-दारिद्र्य का नाश, पाइये जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली अपार
बैकुंठ चतुर्थी : सिर्फ आज चढ़ता हैं महादेव को तुलसी और हरि को बेलपत्र, करें ये उपाय धन में होगी बरसात
वैकुंठ चतुर्दशी : 14000 पाप कर्मों का दोष को दूर करे इन तीन कथाओं को पढ़ कर
काशी में जब राक्षसी बन जाती है एक दिन की देवी , प्रसाद में चढ़ता है बैगन और मूली
– वास्तु – टोटका p
वास्तु : घोड़ा के नाल से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि बचाती है बुरी नजर से भी
यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन
परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय
– इन्हें भी जानिए
जानिए पूजा का सही समय …आखिर दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त
गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास
जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया
जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
डाला छठ : इसलिए लगाया जाता है नाक से सिंदूर
छठ पूजा – क्या है “कोसी भराई”, क्या महत्त्व और विधि है “कोसी सेवना” का
जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया
मानो न मानो
आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी पसंद – नापसंद जरूर बताएं। और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी ” के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है।9889881111
खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in
यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply