धन- धान्य के किये जाने वाला 17 दिवसीय अन्नपुर्णा व्रत अनुष्ठान शुरू
सुख-सौभाग्य एवं अन्य मनोरथ को पूर्ण करने वाले श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव का शुभारंभ 13 नवंबर से हुआ । इस दौरान व्रती भक्त नित्य दर्शन करने कर उपरांत व्रत से जुड़ीं कथा को सुनता है ।इस कड़ी में प्रातःकाल से ही मां अन्नपूर्णा का पूजन-अर्चन किया गया। तदोपरांत मंदिर के महंथ शंकरपुरी द्वारा 17 धागे और 17 गांठ के गंडे को भक्तों के बीच वितरित किया गया । मान्यतायों के अनुसार ये व्रत लगातार 17 साल तक पूरे सावधानी से किया जाता है । जिससे भक्त को धन और धान्य की कमी नहीं हुआ करता हैं । जिसमें नमक रहित शाम के वक़्त एक अनाज ग्रहण किया जाता है।
व्रत से जुड़ीं मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार काशी नगरी में अकाल पड़ा था। तब जगतजननी माता पार्वती ने इस संकट से नगरी को उबारने के लिए श्री अन्नपूर्णा के रूप में काशी नरेश भगवान विश्वनाथ को भिक्षा दी थी। तब माता अन्नपूर्णा ने कहा था कि जिस घर में भी मेरा पूजन-अर्चन व आराधना की जाएगी वहां पर हमेशा ही धन-धान्य के साथ सुख-सौभाग्य का वास बना रहेगा। तब से प्रतिवर्ष अगहन मास में मां अन्नपूर्णा का व्रत व पूजन विधि विधान से करने का विधान प्रारंभ हुआ।
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