Home 2022 काशी का अदभुत लोटा भंटा मेला : जहाँ श्रद्धांलु भगवान शिव को चखाते है बाटी चोखा का स्वाद

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

काशी का अदभुत लोटा भंटा मेला : जहाँ श्रद्धांलु भगवान शिव को चखाते है बाटी चोखा का स्वाद

सात वार में नव त्यौहार का अलख जगाने वाला अलबेला नगर काशी जहाँ के आराध्य है बाबा भोले ,ऐसी भोले की नगरी में किये जाने वाला पंचक्रोशी यात्रा के तीसरे पड़ाव के रूप में जाने जाने वाला तीर्थ रामेश्वर पर अगहन माह के छठी तिथि को एक अनोखा मेला लगता है। जन जन में रचे-बसे इस मेले को लोटा-भंटा मेला के नाम से जाना जाता है। संतान की चाह और मोक्ष की अभिलाषा लिए यहाँ पहुंची हुजूम वरुणा नदी में डुबकी लगाने संग अहरे बाटी- चोखा लगाने की जुगत और फिर तैयार होने पर महोदव को बाटी- चोखा का भोग लगा कर खुद पाना या खाना। यही है लोटा भंटा के मेला का सार …… भोले नाथ के अलावा श्रद्धालु मां तुलजा भवानी की पूजा-अर्चन करते है मां तुलजा भवानी महाराष्ट्र के मराठों की देवी है।

नर से ज्यादा नारिओ की भीड़ वाले इस लोक पर्व का नजारा मेला सरीखा होता है घर के जरुरत के सामन या फिर साज श्रृंगार की वस्तुएं या फिर चाट पकौड़े …वो सब यहाँ मिलेगा जो आप एक मेले में चाहते है।

मान्यतायें

इस मेले की अपनी पौराणिक मान्यता है। कब से शुरुआत हुआ ये तो ज्ञात नहीं है लेकिन बाबा दादा के अनुसार गंगा-वरुणा नदी के किनारे बसी इस भूमि पर मर्यादा पुरु षोत्तम भगवान राम ने खुद एक मुट्ठी रेत से शिवलिंग की स्थापना कर पूजन अर्चन किया था।

लोटा-भंटा…

कहा जाता हैं कि पहले यात्रा के दौरान राहगीर अपने साथ रस्सी, लोटा, और खाने के लिए आलू और भंटा को लेकर चला करते थे। लोटे से नहान और बाटी-चोखा से भूख मिटाने की रवायतें रही और यही से इसका नामकरण भी हुआ. समय लम्बा सफर कर चुका हैं लेकिन आज भी ये मेला पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ कायम है , आखिर यही तो है हमारी परम्परा तो अपने प्रवाह में आज भी गतिमान है।

Author: Admin Editor MBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!