कालभैरव अष्टमी : 16 नवंबर को करे कोई भी इनमें से एक उपाय, होगा परेशानियों का अंत
धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 16 नवंबर, बुधवार को है।
भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। कालभैरव जयंती पर कुछ आसान उपाय कर आप भगवान कालभैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।
ये हैं कालभैरव को प्रसन्न करने के 11 उपाय, कोई भी 1 करें
1. कालभैरव अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:’
2. कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।
3. कालभैरव अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।
– ॐ कालभैरवाय नम:।
– ॐ भयहरणं च भैरव:।
– ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
4. कालभैरव अष्टमी की सुबह भगवान कालभैरव की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
5. कालभैरव अष्टमी पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
6. कालभैरव अष्टमी को एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के तीन दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार)। यही तीन दिन भैरवनाथ के माने गए हैं।
7. अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो कालभैरव अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जप करें।
मंत्र- ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:
8. कालभैरव अष्टमी के एक दिन पहले उड़द की दाल के पकौड़े सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढककर रखें। सुबह जल्दी उठकर सुबह 6 से 7 बजे के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें।
9. सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ को चढ़ाएं और बाद में गरीबों को प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नींबू भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी को काला कंबल दान करें।
10. कालभैरव अष्टमी पर सरसो के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। घर के पास स्थित किसी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गूगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।
11. सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में कालभैरव अष्टमी पर चढ़ाएं।
12. कालभैरव अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कालभैरव के मंदिर जाएं और इमरती का भोग लगाएं। बाद में यह इमरती दान कर दें। ऐसा करने से भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।
13. कालभैरव अष्टमी को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
ज्योतिषचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
नवीनतम
साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…
प्राचीन मंदिर : अपने माँ के पापों के प्रायश्चित के लिए गरुण ने स्थापित किया था गरुड़ेश्वर महादेव को
विश्व इतिहास में पहली बार काशी में भैरव दीपावली कल, दिव्य मंत्र शक्तिपात आज
काशी का अदभुत लोटा भंटा मेला : जहाँ श्रद्धांलु भगवान शिव को चखाते है बाटी चोखा का स्वाद
काशी दर्शन : अकाल मृत्यु को टालने के लिए स्वयं धरती का सीना फाड़ कर निकले शिवशंभु
काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान संग मस्ती
विश्व का एक मात्र मंदिर, जहां कोई प्रतिमा नहीं बल्कि है अखंड राष्ट्र का नक्शा
पापों का हरण करती गंगा से भी प्राचीन नदी “वरुणा”
जानिए कैसे बनी काशी संगीत की नगरी ?
काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति
भैरव विशेष (भैरव अष्टमी 16 नवंबर )
16 नवंबर काल भैरव अष्टमी, काल भैरव की उपासना का महत्व तथा स्वरूप करें यह अचूक उपाय होगा महा लाभ….
साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…
जानिए कहां स्थित है काशी में अष्ट भैरव के पवित्र मंदिर
भय निवारण भैरव का सौम्य स्वरूप कमच्छा के बटुक भैरव
आज का राशिफल
दैनिक राशिफल 15 नवंबर 22 – कुछ यूँ रहेगा आज का आज का दिन
आज का राशिफल : आपके राशि के चाल अनुसार 14 नवंबर को रहेगा….
दैनिक पंचांग
पंचांग 15 नवंबर 22 – शुभ घड़ी संग नक्षत और मुहूर्त की बातें
पंचांग : 14 नवंबर 2022 का शुभ समय और नक्षत्र और दिशाशूल
जन्मदिन राशिफल
आज जिनका जन्मदिन है – 15 नवंबर 22 को जन्मे जातको का होगा ऐसा अगला साल
जिनका आज जन्मदिन है : आप करें शुभ रंग, दिन और महीना में नया काम मिलेगा….
जन्मदिन 13 नवंबर 2022: आज जन्मे जातकों में होता है ये विशेष बात, पुरे साल का जानिए हाल
साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…
साप्ताहिक राशि फल 07 से 13 नबंवर तक : जानिए वो बातें जिससेl आपको मिलेगा नयी राह
व्रत – त्यौहार
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के नौवा महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के इस आठवें महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
प्रदोष व्रत : करिये दु:ख-दारिद्र्य का नाश, पाइये जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली अपार
बैकुंठ चतुर्थी : सिर्फ आज चढ़ता हैं महादेव को तुलसी और हरि को बेलपत्र, करें ये उपाय धन में होगी बरसात
वैकुंठ चतुर्दशी : 14000 पाप कर्मों का दोष को दूर करे इन तीन कथाओं को पढ़ कर
काशी में जब राक्षसी बन जाती है एक दिन की देवी , प्रसाद में चढ़ता है बैगन और मूली
– वास्तु – टोटका p
वास्तु : घोड़ा के नाल से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि बचाती है बुरी नजर से भी
यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन
परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय
– इन्हें भी जानिए
जानिए पूजा का सही समय …आखिर दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त
गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास
जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया
जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया
मानो न मानो
आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी पसंद – नापसंद जरूर बताएं। और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी ” के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है।9889881111
खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in
यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply