पढ़िए, भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण और हरि ? क्या होते है इसके मायने
भगवान विष्णु को नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं भगवान विष्णु के इन नामों के पीछे का रहस्य। भगवान विष्णु को इस संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। भगवान विष्णु की आराधना से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति स्थापित होती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु के पूजन से व्यक्ति को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। भगवान विष्णु के अनेकों भक्त हैं और उनके भक्त उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते हैं।
कोई उन्हें श्री हरि कहता है तो कोई नारायण। वहीं, कुछ भक्त उन्हें लक्ष्मीपति के नाम से भी संबोधित करते हैं। हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें भगवान विष्णु से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताए जो न सिर्फ हैरान कर देने वाले हैं बल्कि उनका एक गूढ़ महत्व भी है। उन्हीं तथ्यों में से एक है भगवान विष्णु को नारायण और हरि नाम से पुकारे जाने का रहस्य जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।
नारायण नाम का रहस्य
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु को उनके सर्वाधिक प्रिय भक्त देवर्षि नारद नारायण कह कर पुकारा करते थे। नारायण का सम्बंध जल से है। वैकुण्ठ धाम में क्षीर सागर ( अतल (गहराई) में भगवान विष्णु वास करते हैं।
जल का पर्यायवाची शब्द नीर है। जिसे संस्कृत भाषा में उपयोग करते समय कुछ विशेष स्थितियों में नर भी कहा जाता है। यानी कि अथाह नर या नीर की गहराई में निवास करने वाले नारायण। तो ऐसे पड़ा था भगवान विष्णु का नारायण नाम।
हरि नाम का रहस्य
भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) का एक नाम हरि भी है। हरि का अर्थ होता है हरने वाला और कुछ विशेष स्थितियों में हरि का अर्थ चुराने वाला भी माना जाता है। भगवान विष्णु पालनकर्ता के साथ साथ दुख हरता भी हैं। भगवान विष्णु की पूर्ण श्रद्धा से गई आराधना उन्हें अपने भक्तों के दुख और कष्ट हरने पर विवश कर देती है।
इसी कारण से भगवान विष्णु हरि कहलाते हैं। विष्णु पुराण में लिखित पंक्ति ‘हरि हरति पापणि’ में इस बात का उल्लेख भी मिलता है। इस पंक्ति का अर्थ है जीवन के सारे पापों और विलापों को हरने वाले हरि यानी कि भगवान विष्णु।
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