Home 2022 सोम प्रदोष व्रत 21 नवम्बर : भगवान भोलेनाथ की कृपा से होगी सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि सोम प्रदोष व्

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

सोम प्रदोष व्रत 21 नवम्बर : भगवान भोलेनाथ की कृपा से होगी सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि सोम प्रदोष व्रत से मिलेगा आरोग्य सुख

भगवान भोलेनाथ की आराधना अपने-अपने तरीके से हर आस्थावान धर्मावलम्बी पुण्य अर्जित करने के लिए करते हैं। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी को देवाधिदेव महादेव माना गया है। भगवान शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें प्रदोष एवं शिवरात्रि व्रत प्रमुख हैं। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती हो, उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है, इसी अवधि में भगवान् शिवजी की पूजा प्रारम्भ करने की परम्परा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार 18 अक्टूबर, सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 नवम्बर, सोमवार को प्रातः 10 बजकर 08 मिनट पर लगेगी जो कि 22 नवम्बर, मंगलवार को प्रातः 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। प्रदोष बेला में तिथि का मान 21 नवम्बर, सोमवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। सोमवार शिवजी का प्रिय दिन है, जिससे सोम प्रदोष अति महत्वपूर्ण हो गया है। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है।

प्रदोष व्रत का विधान

व्रतकर्ता को प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्वों से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान कर धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके श्रृंगार करना चाहिए। तत्पश्चात् धूप दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। परम्परा के अनुसार कहीं कहीं पर जगतजननी माता पार्वतीजी को भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करे तो पूजा शीघ्र फलित होती.

विशेष-

भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएँ भी सुननी चाहिए। प्रदोष व्रत महिलाएँ एवं पुरुष दोनों के लिए समानरूप से फलदायी बतलाया गया है। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है।

कार्य विशेष के लिए किस दिन करें प्रदोष व्रत –

प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग प्रभाव है। वारों (दिनों) के अनुसार सात प्रदोष व्रत बतलाए गए हैं, जैसे-रवि प्रदोष आयु, आरोग्य, सुख- समृद्धि सोम प्रदोष शान्ति एवं रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष- कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष-मनोकामना की पूर्ति गुरु प्रदोष विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष पुत्र सुख की प्राप्ति।

ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन



नवीनतम

एकादशी तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में का महत्त्व

उत्पन्ना एकादशी : आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व्रत के नियम तथा महत्व..

वास्तु : अपने घर या प्रतिष्ठान में लगाए कुबेर का पौधा, ये मिलेगा चमत्कारी परिणाम

पढ़िए, भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण और हरि ? क्या होते है इसके मायने

एक शहर ऐसा जहां दर्शन देते हैं एक साथ अष्ट भैरव … ये है अष्ट भैरव के 8 रूप.

16 नवंबर काल भैरव अष्टमी, काल भैरव की उपासना का महत्व तथा स्वरूप करें यह अचूक उपाय होगा महा लाभ….

बाबा लाट भैरव की अद्भुत कहानी, जब औरंगजेब हुआ बाबा कपाल भैरव के सामने नतमस्तक। आइए जानते हैं कहां पर स्थित है यह प्राचीन मंदिर

भय निवारण भैरव का सौम्य स्वरूप कमच्छा के बटुक भैरव

कौन है काल भैरव ? क्यों कहा जाता है इन्हें काशी का कोतवाल ? क्या है इनके काशी आगमन की कथा ? और कहां पर स्थित है बाबा काल भैरव का भव्य दरबार ?


आज का राशिफल

आज का राशिफल : 20 नवंबर 22 को ऐसा होगा आपका दिन


दैनिक पंचांग

पंचांग 20 नवंबर 22 : जानिए अभिजीत मुहूर्त, दिशाशूल और चौघडिया


जन्मदिन राशिफल

जन्मदिन 17 नवंबर 22 : आज जन्मे जातक कठोर और उग्र स्वर के स्वामी…

आज जिनका जन्मदिन है – 15 नवंबर 22 को जन्मे जातको का होगा ऐसा अगला साल


साप्ताहिक राशिफल

साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…

साप्ताहिक राशि फल 07 से 13 नबंवर तक : जानिए वो बातें जिससेl आपको मिलेगा नयी राह

व्रत – त्यौहार

उत्पन्ना एकादशी : आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व्रत के नियम तथा महत्व..

मार्गशीर्ष मास : हिंदी के नौवा महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल

काशी में जब राक्षसी बन जाती है एक दिन की देवी , प्रसाद में चढ़ता है बैगन और मूली


– वास्तु – टोटका

वास्तु : अपने घर या प्रतिष्ठान में लगाए कुबेर का पौधा, ये मिलेगा चमत्कारी परिणाम

वास्तु : घोड़ा के नाल से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि बचाती है बुरी नजर से भी

यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन

परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय


– इन्हें भी जानिए

जानिए पूजा का सही समय …आखिर दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?

जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त

गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास


जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया

प्राचीन मंदिर : अपने माँ के पापों के प्रायश्चित के लिए गरुण ने स्थापित किया था गरुड़ेश्वर महादेव को

काशी का अदभुत लोटा भंटा मेला : जहाँ श्रद्धांलु भगवान शिव को चखाते है बाटी चोखा का स्वाद

काशी दर्शन : अकाल मृत्यु को टालने के लिए स्वयं धरती का सीना फाड़ कर निकले शिवशंभु

विश्व का एक मात्र मंदिर, जहां कोई प्रतिमा नहीं बल्कि है अखंड राष्ट्र का नक्शा

पापों का हरण करती गंगा से भी प्राचीन नदी “वरुणा”

जानिए कैसे बनी काशी संगीत की नगरी ?

काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति

जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?

जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया


मानो न मानो

आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….

वह बूढ़ा…


खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in


यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123


डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।

Author: Admin Editor MBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!