करिये सूर्य की उपासना पाइये बल और तेज के साथ सुख और समृद्धि
सनातन धर्म में भगवान सूर्य के पूजा का विधान बताया गया है। कहते हैं कि भगवान सूर्य की उपासना करने से रोग शोक से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं, आयु विद्या यश और बाल ये चारो भी बढ़ते हैं। सूर्य एक प्रत्यक्ष देवता है। वह समस्त संसार की ऊर्जा का केंद्र है। नवग्रहों में सूर्यदेव को सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। सूर्य को मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से किया जाए तो मनुष्य के जीवन में बहुत जल्दी ही सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस पाठ को करने से कई तरह के लाभ की प्राप्ति होती है और जीवन की समस्याओं से निजात मिलती है।
क्या है आदित्य हृदय स्त्रोत
आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव से संबंधित है। इस स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है। आदित्य हृदय स्तोत्र का उल्लेख रामायण में वाल्मीकि जी द्वारा किया गया है जिसके अनुसार इस स्तोत्र को ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए दिया था। शास्त्रों में इस स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभ व लाभकारी बताया गया है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन के अनेक कष्टों का निवारण होता है।
आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ
• आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वह कार्य क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है।
• यदि किसी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो तो उसके लिए यह पाठ रामबाण उपाय है।
• इस पाठ को करने से मन का भय दूर होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
• यदि कोई सरकारी विवाद चल रहा हो तो भी आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है, प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है।
• सूर्य को पिता का कारक माना गया है। आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करने से पिता पुत्र के संबंध अच्छे होते हैं।
– सूरज चौबे
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