काशी के कौड़ी माता का अद्भुत इतिहास, यहां दर्शन करने से मिलता है करोड़पति होने का वरदान
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काशी एक ऐसी अद्भुत नगरी है कि यहां कितने देवी, देवता हैं इसका गणना कर पाना मुश्किल है। हर गली हर मोहल्ले में अति प्राचीन देवस्थान मिल ही जाता है। इसी क्रम में आज जानते हैं कौड़ी मां के बारे में, देवी कौड़ी कौन थी, कहां स्थापित है इनका भव्य दरबार तथा क्या मान्यता है उनके दर्शन की……?
कहां स्थापित है यह भव्य दरबार..
काशी के नवाबगंज मोहल्ले में कौड़ी माता का मंदिर स्थित है। यह पूरे भारत में इकलौता मंदिर है जो कि कौड़ी माता के नाम से प्रसिद्ध है। काशी की कौड़ी माता को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कौड़ी देवी बाबा काशी विश्वनाथ की बड़ी बहन है। यह दक्षिण भारत की देवी मानी जाती है।
कौन थी मां कौड़ी…..
मां कौड़ी की उत्पत्ति दक्षिण भारत में हुई थी। इसके पीछे यह मान्यता है कि 100 साल तक बारिश ना होने से लोग अत्यधिक विह्वल होने लगे तब ब्रह्मचारिणी जो मां दुर्गा का दूसरा रूप मानी गई है। उन्हीं से कौड़ी माता की उत्पत्ति हुई है। जहां से वह काशी आई। देवी कौड़ी की एक आदत थी कि जब वह स्नान कर बाबा को भोग लगाती थी तो वही भोग वह स्वयं ग्रहण करती थी। लेकिन स्नान के बाद किसी से भी छू जाने की स्थिति में अथवा किसी की परछाई भी पड़ जाने की स्थिति में वह दोबारा स्नान करने को गंगा जी चली जाती। ऐसे इनका स्नान का प्रक्रिया लगातार एक महीने तक चला। जिसके बाद बाबा विश्वनाथ ने काशी में इनको अपनी बड़ी बहन बनाकर स्थान दिया। शिव पुराणऔर काशी खंड में भी मां कौड़ी का वर्णन मिलता है।
कौड़ी माता के दर्शन की मान्यता….
पुराणों में बताया गया है कि दक्षिण भारत में निवास करने वाली मां कौड़ी बाबा विश्वनाथ के दर्शन की इच्छा लेकर काशी आई थी। घूमते घूमते जब वह एक बस्ती में गई तो वहां उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार हुआ। लिहाजा उन्होंने अन्न, जल त्याग दिया। तब मां अन्नपूर्णा ने उन्हें कौड़ी माता के रूप में विराजमान किया।साथ ही यह आशीर्वाद भी दिया कि (कौड़ी)जिसका कोई मोल नहीं होता, तुम्हें उसी रूप में पूजा जाएगा। और जो भी भक्त तुम्हें पूजेगा वह कभी गरीब नहीं होगा। इस मंदिर में पूजा के दौरान माता रानी को कौड़ी चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तथा धन संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है।
– शालिनी त्रिपाठी
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