काशी में एकमात्र ऐसा मंदिर जहां पूजा करने से दूर होते हैं सफेद दाग जैसे भी असाध्य रोग….
काशी के विभिन्न मंदिरों के क्रम में आज जानते हैं प्राचीन एक मुखी भगवान दत्तात्रेय मंदिर के बारे में। भगवान शिव की नगरी काशी को रहस्यों का शहर भी माना जाता है। आखिर इस मंदिर की ऐसी क्या विशेषता है कि इसे चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है।
कहां पर स्थित है यह चमत्कारी मंदिर….?
उत्तर भारत के काशी में अकेला ऐसा मंदिर है, जहां भक्त अपनी बीमारी के परमानेंट इलाज के लिए आते हैं। यह मंदिर काशी के ब्रह्मा घाट पर स्थित है। भगवान दत्तात्रेय के बारे में ऐसी मान्यता है कि इन्होंने अभी तक अपना शरीर त्याग नहीं किया है। ऐसा कहा जाता है कि पूरे दिन काशी के हर क्षेत्र में भगवान दत्तात्रेय विचरण करते हैं। यह मंदिर डेढ़ सौ साल पुराना है।
अकेला एक मुख वाला विग्रह है विराजमान……
काशी के ब्रह्मा घाट स्थित भगवान दत्तात्रेय कलयुग के ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन मात्र से मनुष्य के सभी प्रकार के रोगों का निवारण होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि, भगवान दत्तात्रेय काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने जाते हैं। इस घाट पर भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुका इस बात को प्रमाणित करती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय के दर्शन करने से मनुष्य के सफेद दाग जैसे असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
काशी अकेली ऐसी नगरी है जहां दत्तात्रेय भगवान का एक मुखी विग्रह विराजमान है। भगवान दत्तात्रेय ने हीं बाबा कीनाराम को अघोर मंत्र देकर दीक्षित किया था। साईं बाबा को इन्हीं का अवतार माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय गूलर के वृक्ष पर निवास करते हैं। इसलिए भक्त गूलर के वृक्ष को साक्षात दत्तात्रेय भगवान का स्वरूप मानकर इनकी पूजा आराधना करते हैं। तथा समस्त प्रकार के रोगों से मुक्त रहने की प्रार्थना करते हैं।
शालिनी त्रिपाठी
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