क्या आज भी मौजूद है सबसे शक्तिशाली अस्त्र
सभी भगवान अपने सदभाव एवं शांति का प्रचार करते हैं | लेकिन हमारे महाकाव्यों को अगर हम पढ़े तो उसमे कितने ही देवताओं, योद्धाओं, यक्ष , राक्षस द्वारा युद्ध में कई शक्तिशाली अस्त्रों का प्रयोग किया गया | आइए जानते हैं अपने सनातन धर्म के इतिहास में वर्णित सबसे शक्तिशाली अस्त्रों एवं शस्त्रों के बारे में |
सबसे शक्तिशाली अस्त्र
अस्त्रों में सबसे शक्तिशाली अस्त्र जिसे दिव्यास्त्रों का पिता भी कहा जाता है जिसे स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा बनाया गया है इसलिए इसे “ब्रह्मास्त्र” कहा गया | पौराणिक काल में पांच सबसे महाप्रलयकारी अस्त्रों मे एक था ब्रह्मास्त्र |
ब्रह्मास्त्र की विशेषता
ब्रह्मास्त्र के बारे में कहा जाता है कि एकबार छोड़ देने के बाद विनाशकारी रूप ले लेता था, भयंकर वायु वेग के साथ मानो जैसे आकाश फट कर धरती पर गिरने लगी हो कई उल्का पिण्ड जमीन पर गिरने लगते थे जीव जन्तु मरने लगते थे पर्वत वृक्ष हिलने लगते थे | धरती में दरारे आने लगती थी | ब्रह्मास्त्र इतना खतरनाक होता था कि एकबार छोड़ देने के बाद अपने शत्रु को मार कर ही वापस आता था |
देवताओ ने सबसे पहले गन्धर्व को सबसे पहले इस अस्त्र का ज्ञान प्रदान किया था और फिर धीरे धीरे ये और योद्धाओं को भी प्राप्त हुआ |
रामायण से लेकर महाभारत तक इस अस्त्र का प्रयोग हुआ है |
रामायण काल में ये अस्त्र श्री राम, लक्ष्मण, रावन और मेघनाथ के पास था | वहीं महाभारत काल में ये अस्त्र परशुराम, द्रोणाचार्य, कृष्ण, अर्जुन, कर्ण, अश्वत्थामा के पास था |
ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे दो ब्रह्मास्त्र के टकराने से प्रलय की उत्पत्ति होती थी | जिससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय होता था | महर्षि वेदव्यास ने बताया है कि जहाँ ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां बारह वर्षों तक जीव जंतु, पेड़ पौधे आदि की उत्पत्ति नहीं हो पाती |महाभारत में उल्लेख है ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वालीं स्त्रियों के गर्भ तक प्रभावित हुए थे | गौरतलब है हिरोशिमा के रेडिएशन फाल ऑउट होके के कारण भी गर्व मे कई सारे शिशु मारे गये थे और उस इलाके में बारह वर्ष तक अकाल रहा था | इससे पता चलता है ब्रह्मास्त्र भी परमाणु बम जैसा ही था | जिसका उल्लेख हमारे काव्यों मे कई हजार वर्षों पूर्व ही किया गया था |
ब्रह्मास्त्र को सिर्फ दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही रोका जा सकता था |
ब्रह्मास्त्र पर शोध
शोध के बाद विदेशी वैज्ञानिकों का भी मानना है कि महाभारत में परमाणु बम जैसे हथियारों का प्रयोग हुआ था |
42 वर्ष पहले पुणे के डाक्टर और लेखक “पद्माकर विष्णु वर्तक” ने कहा था महाभारत में जो अस्त्र प्रयोग हुआ था वो परमाणु बम के ही समान था | डॉ वर्तक ने 1970 मे एक किताब लिखी थी स्वयंभू जिसमें इसका विशेष वर्णन मिलता है साथ ही आधुनिक युग में “जे राबर्ट ओपन ह्यमन” महाभारत का गहन अध्ययन किया था इसमे बताए गए ब्रह्मास्त्र पर शोध भी किया और उसका नाम दिया था ट्रिनिटी (त्रिदेव) सबसे पहले 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया था |जोकि एक परमाणु बम था |
देखा जाए तो ब्रह्मास्त्र आज भी मौजूद है जो कि कलयुग के अंत में ही देखने को मिलेगा जब स्वयं भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतरित होंगे और ब्रह्मास्त्र का ज्ञान प्राप्त करेंगे |
लेकिन आज के युग में भी देखा जाए तो परमाणु बम भी ब्रह्मास्त्र का ही एक रूप है |
– जया पाण्डेय
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