पंच कन्या : ये हैं यज्ञ कुंड से जन्मी ‘द्रौपदी’ के पांच पति पाने का रहस्य
महाभारत की कहानी के बारे में तो हम सभी जानते हैं। यह भी जानते है कि भरी सभा में कौरवों द्वारा द्रौपदी का अपमान करने की वजह से महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर द्रौपदी थी कौन? उन्हें 5 पांडवो से विवाह क्यों करना पड़ा। चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी… लेकिन उससे पहले जानते हैं कि द्रोपदी का जन्म कैसे हुआ?
यज्ञ कुंड से जन्मी द्रौपदी :
राजा द्रुपद एक ऐसे पुत्र की प्राप्ति चाहते थे जो कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य का वध कर सके। राजा द्रपद ने ज्ञानी और तपस्वी दो ब्राह्मण भाइयों याज और उपयाज के निर्देश पर दिव्य हवन का आयोजन किया। इस हवन के दौरान राजा द्रुपद को पुत्र और पुत्री दोनों की प्राप्ति हुई, जिनका नाम धृष्टद्युमन और द्रौपदी रखा गया। जी हां, ये बात सच है कि द्रौपदी का जन्म हवन कुंड से हुआ था न कि माता के गर्भ से। द्रोपदी के जन्म लेते ही आकाश में एक आकाशवाणी हुई की यह पुत्री कुरु वंश के साम्राज्य के पतन का कारण बनेगी, इसलिये कहा जाता है की द्रोपदी का जन्म कौरव वंश के नाश के लिए ही हुआ था।
पांच पतियों का मिला था वरदान :
पूर्व जन्म में द्रौपदी भगवान शिव की तपस्या करती थी , जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा। इस पर द्रौपदी ने बार-बार सर्वगुणयुक्त पति चाह रखी। तभी भगवान शंकर ने कहा कि तूने मनचाहा पति पाने के लिए मुझसे पांच बार प्रार्थना की है इसलिए तुझे दुसरे जन्म में 5 पति मिलेंगे।
द्रौपदी स्वयंवर :
पंचाल राज्य के राजा अपनी पुत्री द्रोपदी का विवाह एक कुशल योग्य वर से करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने एक स्वंयवर का आयोजन करवाया जिसमे उन्होंने महल के एक कमरे में एक खम्बा खड़ा करवाया जिसपर एक गोले में एक मछली बाँधी गई। इस मछली के नीचे एक पात्र में तेल मिलाकर पानी भरकर रखवा दिया। राजा द्रुपद की शर्त थी कि जो भी इस तेलपात्र में देखकर मछली की आँख को निशाना लगाएगा उसी के साथ वे अपनी पुत्री द्रोपदी का विवाह कर देंगे। इस स्वंयवर में देश के सभी राजा और युवराजो को आमंत्रित किया गया मगर सभी इस शर्त को पूरा करने में असफल रहे अंत में श्री कृष्ण की आज्ञा से अर्जुन शर्त को पूरा कर देते है और मछली की आँख में निशाना लगा देते है।
द्रौपदी कैसे बनी पांचाली :
इसके बाद द्रोपदी से विवाह करके वो उसे अपनी माता के पास पांचो भाइयो के साथ ले कर पहुचते है और आवाज लगा कर कहते है की माँ देखो हम क्या लाये है। माता कुंती सोचते है की पांचो भाई कुछ खाने को भिक्षा मांग कर लाये है तो वो कहती है की पांचो भाई आपस में बाँट लो और जब बहार आकर देखती है तब उन्हें असलियत का पता चलता है। मगर माता के आज्ञाकारी होने के कारण पांचो भाइयो को माता की बात को मानना पड़ा जिससे द्रोपदी पांच पतियों की पत्नी यानी की पांचाली का नाम मिला।
पांडवों की प्रिय थी द्रौपदी
द्रौपदी सुंदर होने के साथ ही बहुत बुद्धिमान स्त्री थी। जब भी पांडव कमजोर पड़े या उन्हें कोई निर्णय लेने में संकोच हुआ, तब द्रौपदी ने हमेशा एक पत्नी का कर्तव्य निभाया। वो ये बखूबी जानती थी कि उसे कब कितना और कहां बोलना है। साथ ही वह अपने पतियों का आदर सम्मान भी बखबू करना जानती थी इसलिए वह पांचों पांडवो की प्रिय थी।
– सौम्या सिंह
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