किसने आशीर्वाद के कारण शनिदेव को चढ़ाया जाता है सरसों का तेल ? मिलता है ये फल
कर्मफलदाता शनि देव को नवग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है। शनि देव की एक नजर व्यक्ति को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकती है। इसी कारण से हिन्दू धर्म में शनि पूजन को महत्वपूर्ण बताया गया है। यूं तो शनि देव को प्रसन्न करने के कई उपाय हैं लेकिन उन्हें शीघ्र प्रसन्न करने के लिए भक्त उनपर सरसों का तेल चढ़ाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, बाल अवस्था में हनुमान जी के बल को देख सभी देवी-देवता आश्चर्य में थे। वहीं, दूसरी ओर शनि देव को अपनी अपार शक्तियों के कारण अहंकार हो गया था जिसके चलते वो खुद को सर्व शक्तिशाली समझने लगे थे। एक दिन जब देव सभा में शनि देव ने प्रवेश किया तब सभी के मुख पर एक ही नाम था- हनुमान। हनुमान जी की इतनी प्रशंसा सुन शनि देव क्रोधित हो गए और अपनी शक्तियों के अहंकार में उन्होंने हनुमान जी को युद्ध की चुनौती दे डाली। बाल हनुमान राम नाम की धुन में व्यस्त थे लेकिन शनि देव युद्ध की जिद पर अटके हुए थे। जब बार शनि देव द्वारा हनुमान जी की राम धुनी में खलल पड़ने लगा तब हनुमान जी ने शनि देव को सबक सिखाने के लिए युद्ध की चुनौती को स्वीकार किया और शनि देव के साथ युद्ध करने लगे। हनुमान जी और शनिदेव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। हनुमान जी के बल के आगे शनि देव की सारी शक्ति क्षीण पड़ गयी। शनि देव बुरी तरह घायल हो गए और तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि हनुमान जी रुद्रांश हैं।
शनि देव ने हनुमान जी से युद्ध रोकने की विनती की और हनुमान जी भी सहर्ष रुक गए। हनुमान जी ने जब शनि देव को देखा तो वह पीड़ा से कराह रहे थे। तब हनुमान जी ने शनिदेव को सरसों का तेल औषधि के रूप में लगाया। सरसों के तेल से शनि देव का दर्द खत्म हो गया और शनि देव ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी कोई व्यक्ति शनि देव को पूर्ण श्रद्धा से मंगलवार और शनिवार के दिन तेल चढ़ाएगा उन्हें हनुमान जी की कृपा और साथ प्राप्त होंगे।
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