पंच कन्याओं में एक थी मंदोदरी, आइए जानते है कैसे हुआ मंदोदरी और रावण का विवाह
रावण की पत्नी मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक थी। वह अप्सरा हेमा की पुत्री थीं। महर्षि कश्यप के पुत्र मायासुर ने उन्हें गोद लिया था। मायासुर को राक्षसों का विश्वकर्मा भी कहा जाता था। उसे ब्रह्मा जी से एक विशेष वरदान प्राप्त था। इसके मुताबिक वह कहीं भी सुंदर भवन का निर्माण कर सकते थे। मायासुर ने ब्रह्मा से प्राप्त वरदान के प्रभाव से अपनी प्रेमिका अप्सरा हेमा के लिए मंडोर जैसे खूबसूरत नगर का निर्माण किया था। जो कि वर्तमान में जोधपुर का मंडोर है।
रावण से विवाह करने की ये थी वजह :
कथा के अनुसार एक बार रावण मायासुर से मिलने के लिए मंडोर पहुंचा। तभी उसकी नजर मंदोदरी पर पड़ी और उसने मायासुर के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। कहा जाता है कि जब रावण और मंदोदरी की कुंडली का मिलान हुआ तब स्थितियां ठीक नहीं थीं। लेकिन रावण के प्रताप को देखकर वह मना नहीं कर पाए। मंदोदरी भी यह विवाह नहीं करना चाहती थीं लेकिन पिता के वचन की लाज रखने के लिए उन्होंने भी रावण से विवाह के लिए हां कह दी। दोनों का विवाह मंडोर स्थित वापिका के पास गणेश एवं अष्ट मातृकाओं के फलक के पास ही मौजूद अग्निकुंड के पास ही हुआ था।
कैसी थी मंदोदरी :
रामायण और विभिन्न ग्रंथों में मंदोदरी के बारे में जो जिक्र आता है उसके मुताबिक वह बहुत सुंदर, गुणवान और पतिव्रता महिला थी। रावण के खोटे कर्मों को देखकर उसने अनेक बार उसे ऐसे कार्यों का त्याग करने की सलाह दी, लेकिन उसने कभी मंदोदरी की बात नहीं मानी। अगर वह सही समय पर मंदोदरी की बात मान लेता तो रावण का इतिहास कुछ और ही होता। मंदोदरी बहुत सुंदर भी थी। यहां तक कि जब हनुमानजी ने लंका में उसे देखा तो एक बार वे भी उसे मां सीता समझ बैठे थे।
रावण वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ :
भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद विभीषण को लंका का राजा बना दिया था। ऐसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने अपनी भाभी मंदोदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो एक सती स्त्री थीं जो अपने पति के प्रति समर्पण का भाव रखती थीं। इसीलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था।
– सौम्या सिंह
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