जीवन में सभी कष्टों को ख़त्म करता है चमत्कारी श्री बजरंग बाण का पाठ !
अगर आपका जीवन कष्टों से भरा हुआ है या कदम-कदम पर आपको दुखों का सामना करना पड़ रहा है तो एक बार हनुमान जी की शरण में आ जाइये.
परंपरागत रूप से हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है.संकट काल में हनुमानजी का ही स्मरण किया जाता है. इसलिए वह संकटमोचन कहलाते हैं.
कुंडली का कोई भी ग्रह ऐसा नहीं है जो हनुमान जी की प्रसन्नता के बाद आपको परेशान कर सके.
आप बस दिल में हनुमान जी का स्वरुप उतारिये और देखिये फिर कैसे आपको हनुमान जी दर्शन देते हैं. जो व्यक्ति नित्य ही हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ प्रतिदिन पूजा पाठ विधि-विधान से करता है. उसे भौतिक सुख की प्राप्ति, उच्च शिक्षा, परिवार में शांति मिलती है,
तो ऐसा बोला गया है कि हनुमान बाण का पाठ करने से व्यक्ति के बड़े से बड़े दुःख, पलभर में खत्म हो जाते हैं. लेकिन अगर वहीँ हनुमान बाण का सही से पाठ ना किया जाये तो इसका कोई भी फायदा व्यक्ति को नहीं मिल पाता है. तो आइये जानते हैं कि कैसे करना होता है बजरंग बाण का पाठ –
सबसे पहले पूरा बजरंग बाण का पाठ
श्रीराम
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायं परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।। कैसे करना होता है बजरंग बाण का जाप
व्यक्ति वैसे तो बजरंग बाण का पाठ प्रतिदिन भी कर सकता है लेकिन अगर फिर भी समय की कमी है तो मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ विशेष लाभदायक साबित हो सकता है. प्रातः नहाकर, एक एकांत जगह में इसका पाठ होना चाहिए. अगर आप मंदिर में बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं तो वहां भी आपको एकांत में ही इसका जाप करना होता है.
हनुमान जी की प्रतिमा और भगवान राम की प्रतिमा के सामने बैठ जायें और धी का दीया जलाकर प्रतिमाओं के सामने रख दें. आप एक साफ़ आसन पर विराजमान हो जाएँ. ध्यान रहे कि पूरे जप के समय दीया जलता रहना चाइये. सबसे पहले भगवान राम की आरती करें और उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें.
तब आप शुरुआत से यहाँ बताई गयी, हनुमान बाण का जाप करें. बेहतर होगा कि आप कम से कम 5 बार हनुमान बाण का जाप करें. हनुमान जी को स्वछता बहुत पसंद है. इसलिए जहाँ पूजा करें, वहां गंदगी न हो. साथ ही साथ गुड़-चने या अपने अनुसार जो हो सके, उसका भोग हनुमान जी को लगायें.
यदि आप लगातार बजरंग बाण का पाठ, इसी विधि से करते रहते हैं तो जल्द ही आप अनुभव करेंगे कि आपके दुःख कम हो रहे हैं और आप सुख से अपना जीवनयापन कर पा रहे हैं.
jyotishacharya Dr Umashankar mishr
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