Home 2022 2023 में होगा 12 नहीं 13 महीना , सावन मास 2 महीने का, जानिए इससे पहले कब बना था ऐसा योग

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2023 में होगा 12 नहीं 13 महीना , सावन मास 2 महीने का, जानिए इससे पहले कब बना था ऐसा योग

हम सभी नए साल 2023 में प्रवेश को लेकर उत्साहित हैं। सन 2023 ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से तो 12 महीने ही होंगे, लेकिन होली जलने के बाद विक्रम संवत 2080 प्रारंभ होगी यानि हिन्दू विक्रम संवत कैलेंडर के हिसाब से तब हम नव वर्ष में प्रवेश करेंगे। लेकिन खास बात यह है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से इतर विक्रम संवत 2080 का साल बारह महीनों के बजाय 13 महीनों का रहेगा। आइये जानते है इसकी वजह…

13 महीना का होगा यह साल

2023- 24 में ही पड़ने वाला हिन्दू वर्ष विक्रम संवत 2080 मलमास वाला साल होगा और यही नहीं सावन माह दो माह का रहेगा जिसकी अवधि 59 दिनों की होगी। खास बात ये है कि 19 साल बाद ये संयोग फिर से लौट रहा है जब सावन दो महीने का होगा।


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क्यों होता है ऐसा

हिन्दू कलेंडर में हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास बढ़ जाता है जिसे अधिकमास या मलमास के नाम से जानते हैं। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस वर्ष यह 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा।

दरअसल, सूर्य मास और चंद्र मास की गणना से ही हिंदू कलेंडर यानि पंचाग का निर्माण होता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका आगमन सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर होता है।

क्या है मलमास

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का अपना एक विशेष महत्व होता है और इसी मलमास का भी खास महत्व है। मलमास जिसे कई जगह अधिकमास भी कहा जाता है यह पूरी तरह भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस माह विधि-विधान के साथ विष्णु भगवान का पूजन किया जाता है। मलमास में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, यानि ऐसे में शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते। लेकिन इसमें पूजा-पाठ, जप, तप, व्रत-उपवास जैसे धार्मिक कार्यों करना बहुत लाभकारी होता है। मान्यता है कि इसमें इस माह में की गई पूजा पाठ दस गुना फल प्रदान करती है। दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा और पूजा के लिए यह माह बहुत शुभ होता है। कहते हैं कि दान-पुण्य करने से मलमास के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं और पापों का नाश होता है।


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  • Author: Admin Editor MBC

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