Home 2023 जानिए क्या है गोलोक और वैकुण्ठ धाम, कौन है इनका स्वामी और क्या है इनमें अंतर

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जानिए क्या है गोलोक और वैकुण्ठ धाम, कौन है इनका स्वामी और क्या है इनमें अंतर

गोलोक और वैकुण्ठ दोनों ही भगवान के धाम हैं लेकिन आज हम आपको इन दोनों धामों के बीच का अंतर बताने जा रहे हैं। भगवान के अनेकों धाम हैं जिनका वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। इन्हीं में से दो धाम हैं गोलोक और वैकुण्ठ।

गोलोक धाम

ग्रंथों में गोलोक धाम का वर्णन कमल की पंखुड़ियों के समान बताया गया है। गोलोक सभी लोकों का आधार है। गोलोक के दक्षिण भाग में शिव लोक स्थापित है तो उत्तर भाग में विष्णु लोक।

ब्रह्म संहिता के अनुसार, गोलोक का अर्थ है गायों का लोक। गोलोक के स्वामी श्री कृष्ण हैं और इस लोक में वह अपनी आराध्य शक्ति श्री राधा रानी के साथ विराजमान हैं।

गोलोक में श्री राधाकृष्ण अपने अलौकिक रूप में विराजते हैं। यहां का वातावरण बेहद शांत और सुंदर है। गोलोक में श्री राधा रानी और कृष्ण के अलावा, गोपियां और गोप भी निवास करते हैं।

वैकुण्ठ धाम

ग्रंथों में वैकुण्ठ धाम की उपस्थिति तीन स्थानों पर बताई गई है। एक पृथ्वी, दूसरी स्वर्ग और तीसरी समुद्र में। वैकुण्ठ धाम को वैकुण्ठ सागर भी कहा जाता है। इस लोक में चारों ओर एक अलग ऊर्जा का संचार निरंतर होता ही रहता है।

वैकुण्ठ का शाब्दिक अर्थ होता है- जहां कुंठा न हो। यानि कि वैकुण्ठ धाम में निष्क्रियता, अकर्मण्यता, निराशा, हताशा, आलस्य और दरिद्रता का कोई स्थान नहीं है। वैकुण्ठ पहुंचने के लिए सात दिव्य द्वारों को पार करना पड़ता है।

वैकुण्ठ धाम में श्री हरि विष्णु का वास है। इस लोक में भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ विराजते हैं। वैकुण्ठ समुद्र की जिस गहराई में बसा है उस भाग को क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है।

गोलोक धाम और वैकुण्ठ धाम

जहां एक ओर गोलोक श्री कृष्ण का धाम है तो वहीं वैकुण्ठ श्री हरि विष्णु का। जहां एक ओर श्री कृष्ण राधा रानी के साथ गोलोक में रहते हैं। तो वहीं, भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ वैकुण्ठ में विराजते हैं।
गोलोक प्रभामंडल और आकाश मंडल से भी ऊंची जगह स्थापित है।
वैकुण्ठ धाम समुद्र के तल में यानि कि गहराई में स्थापित है।


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  • Author: Admin Editor MBC

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