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माध मास : पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए माघ मास करे सूर्यदेव की पूजा-आराधना, जानिए इस मास के व्रत त्यौहार

– माघ मास : 7 जनवरी से 5 फरवरी तक

– माघ मास भगवान श्रीविष्णु, श्रीसूर्यदेव एवं माँ गंगा को है समर्पित माघ मास

– गंगा स्नान से आरोग्य, सौभाग्य व पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति

भारतीय संस्कृति में धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में माघ मास की अनन्त महिमा है। माघ महीने में भगवान श्रीविष्णु सूर्यदेव और माँ गंगा की पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व बतलाया गया है। ऐसी मान्यता है कि सम्पूर्ण मास स्नान करके आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् दान आदि करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। माघ महीने में प्रयाग हरिद्वार, वाराणसी, नासिक, उज्जैन जैसे अन्य पवित्र स्थानों पर गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस मास में प्रयागराज में कल्पवास करने की विशेष महिमा है।

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने का आरंभ हर वर्ष पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माप पूर्णिमा तक चलता है। इस वर्ष माघ महीने की शुरूआत 7 जनवरी, शनिवार से शुरू होकर 5 फरवरी, रविवार तक रहेगी। माथ में सूर्यदेव की पूजा-आराधना करने से जीवन में पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इसी माह में सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।


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माघ मास की महिमा इस माह में सूर्य उपासना करने से हर तरह की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है। माघ माह में सूर्यदेव धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए अपने पुत्र शनि की राशि मकर राशि में प्रवेश करते हैं। माघ महीने में गंगा समेत कई अन्य पवित्र नदियों में स्नान, पूजन और भगवान श्रीविष्णु की पूजा करने का विधान होता है। कहीं-कहीं पर परम्परा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

माघ मास में क्या करें-

हिंदू धर्म में माघ का महीना बहुत ही पवित्र होता है। माघ में गंगा स्नान के साथ ही गीता का पाठ भी करना चाहिए। माघ में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करना से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ के महीने में सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए और तिल का दान करना चाहिए। इस माह जल में तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा माघ माह में प्रतिदिन तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। इस माह आंवला से बनी चीजों का दान और सेवन करना लाभदायक होता है। इस माह तिल का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है। इस मास में तिल, गुड़ और कंबल के दान का विशेष महत्त्व माना गया है। इस मास में मासपर्यंत निराहार, जलाहार या फलाहार रहकर व्रत करना चाहिए। यदि व्रत करने की स्थिति न बनती हो तो बिना लहसुन प्याज का शुद्ध सात्विक भोजन एक समय करके माघ मास तक नियम-संयम से रहने पर भगवान् श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपाप्राप्ति बतलाई गई है। उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

माघ मास में क्या न करें—

शास्त्रों में माघ महीने के दौरान कुछ कार्य करना वर्जित बताया गया है। माघ मास में कल्पवासी या व्रतकर्ता को अन्यन्त्र कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। माघ मास में मूली का सेवन नहीं करना चाहिए। माघ मास में तामसिक भोजन और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा माह में असत्य और किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

माघ मास के प्रमुख व्रत-त्योहार

संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी 10 जनवरी, मंगलवार मकर संक्रांति 15 जनवरी, रविवार षट्तिला एकादशी 18 जनवरी, बुधवार तिल द्वादशी, प्रदोष व्रत 19 जनवरी, गुरुवार स्नान-दान- श्राद्ध की शनैश्चरी अमावस्या, मौनी अमावस्या 21 जनवरी, शनिवार गौरी तृतीया 24 जनवरी मंगलवार वरद विनायक श्रीगणेश चतुर्थी 25 जनवरी, बुधवार बसंत पंचमी 26 जनवरी, गुरुवार अचला सप्तमी 28 जनवरी, शनिवार दुर्गा अष्टमी 29 जनवरी, रविवार महानन्दा नवमी 30 जनवरी, सोमवार जया एकादशी-1 फरवरी, बुधवार भीष्म द्वादशी 2 फरवरी, गुरुवार प्रदोष व्रत 3 फरवरी, शुक्रवार स्नान-दान-व्रत को माघी पूर्णिमा, भैरव जयन्ती 5 फरवरी, रविवार।।

• ज्योर्तिविद् विमल जैन, काशी


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  • Author: Admin Editor MBC

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