जहां पत्नी रिद्धि – सिद्धि पुत्र शुभ – लाभ संग विराजते हैं गजानन्द
सभी शुभ कार्यो में पूजे जाने वाले गणेश को मंगलकारी देवता कहा जाता है ,शिव कि नगरी काशी के लोहटिया क्षेत्र में एक मोहल्ला का नाम वहाँ स्थित देवता के नाम से है – बड़ा गणेश | इस विग्रह की खास बात यह है की उनके पत्नी और बेटे की पूजा एक साथ होती है मान्यताओ के अनुशार गणेश परिवार की पूजा से सुख समृधि के साथ पूर्व जन्म के किये पापो का भी शमन होता है।
काशी विश्व की अद्भुत नगरी है ज्योतिषियो की माने तो 25 अक्षांश और 83 रेखांश पर बसने वाली काशी की शायद विश्व में अकेली शहर है क्योकि समूचे भारत का रेखांश 82.5 है जबकि काशी दो विकला के अंतर पर सबसे अलग है बारह ज्योतिलिंग सहित 51 शक्ति पीठो में शुमार तो है ही साथ ही 5 वन में शामिल है | काशी त्रिकंटक यानि त्रिशूल पर बसी है जो आज भी गोदावरी यानि गोदौलिया , मन्दाकिनी यानि मैदागिन और चौक के रूप में दिखता है यह काशी की भगौलिक पहचान है | धर्म और संस्कृति की राजधानी कहे जाने वाला शहर काशी में ढेरो देव विग्रह स्थापित है जो सभी अपनी अपनी विशेषता के लिए जाने जाते है।
काशी के छप्पन विनायको के साथ ही बड़ा गणेश का अलग पहचान है, काशी के मैदागिन से लोहटिया जाने वाले मार्ग पर स्थित बड़ा गणेश मंदिर का अपना इतिहास है। धर्म ग्रंथो के अनुसार पृथ्वी पर गंगा के आने से पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर मन्दाकिनी नदी बहा करती थी । मंदिर के समक्ष दन्त विनायक की छोटी मूर्ति है जिसका उलेख्य काशी खंड में आता है साथ ही पंचक्रोशी परिक्रमा के दौरान दर्शन का विधान है मंदिर में जम्बुकेश्वर महादेव का मंदिर है मान्यताओ के अनुसार बिना इनके दर्शन के बड़ा गणेश के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता ,मंदिर में तीन अन्य शिव लिंग के साथ विष्णु – लक्ष्मी और हनुमान की भी मूर्ति है।
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गर्भ गृह के सामने विशाल मुसक का मूर्ति खास है मंदिर परिसर में कुआँ भी है जिसके जल से मंदिर और भगवान की भोग और सेवा की जाती है ….रही बात नाम का तो इसके विषय में लिखित रूप से कुछ नहीं मिलता लेकिन जनश्रुतियो के अनुसार ये अति प्राचीन तो है ही साथ ही शायद सबसे बड़ी मूर्ति होने के कारण इनका नाम बड़ा गणेश है।
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