गणेश, सकट या तिलकूट चौथ : जानिए किस शहर में कब होगा चंद्र दर्शन क्यों करती हैं माताएँ ये कठिन व्रत
Sakat Chauth 2023
माघ माह का महीना अपने आप में काफी पावन होता है।इसकी चतुर्थी के दिन सकट चौथ का व्रत होता है। ये उपवास माता संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं, ये काफी कठिन व्रत है, इस दिन महिलाएं पूरे दिन का निर्जला व्रत रखती हैं और गणेश जी की पूजा करती हैं और शाम को चांद को देखकर और अर्ध्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से बच्चे के सारे कष्ट दूर हो जाते है और उस पर कोई संकट नहीं आता है और वो गणेश जी की तरह बु्द्दिमान और ज्ञानी बनता है। इस व्रत को तिलकुट चौथ भी कहते हैं क्योंकि इसमें भगवान जी को तिल के लड्डुओं का भोग चढ़ता है।
पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं।
फिर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेते हैं।
फिर गणेश भगवान की विधिवत पूजा होती है।
संकष्टी व्रत शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद खोला जाता है।
चंद्र दर्शन समय
इस दिन अक्सर कोहरे की वजह से चंद्रमा आंख-मिचौली खेलते हैं इसलिए चंद्रदर्शन के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ता है। ” मोक्ष भूमि ” आपके लिए यहां लाए हैं चंद्रोदय समय, जिसके जरिए आप जान सकते हैं कि किस वक्त आपके शहर में चांद निकलेगा?
काशी (वाराणसी) में रात 08:22 बजे
नई दिल्ली में रात 08:41 बजे
लखनऊ, उत्तर प्रदेश: 08:28 अपराह्न
चंडीगढ़: ,रात 08:39 बजे
भुवनेश्वर, ओडिशा: 08:17 अपराह्न
शिमला, हिमाचल प्रदेश: रात 08:37 बजे
देहरादून, उत्तराखंड: रात 08:35 बजे
रांची, झारखंड: रात 08:15 बजे
पुणे, महाराष्ट्र: रात 09:09 बजे
नागपुर, महाराष्ट्र: रात 08:44 बजे
जयपुर, राजस्थान: रात 08:50 बजे
अहमदाबाद, गुजरात: रात 09:08 बजे
पटना, बिहार: रात 08:13 बजे
मुंबई, महाराष्ट्र: रात 09:13 बजे
बेंगलुरु, कर्नाटक: रात 09:01 बजे
भोपाल, मध्य प्रदेश: 08:48 अपराह्न
रायपुर, छत्तीसगढ़: रात 08:33 बजे
हैदराबाद, तेलंगाना: 08:52 अपराह्न
चेन्नई, तमिलनाडु: रात 08:50 बजे
कोलकाता, पश्चिम बंगाल: 08:04 अपराह्न
गणेश मंत्र
गणेश जी को खुश करने के लिए कीजिए इन मंत्रों का जाप
ॐ गं गणपतये नमः ।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।’
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