गुप्त नवरात्र की सम्पूर्ण जानकारी, नामकरण, महत्व, किन देवियों का करे आराधना और पूजा की विधि
गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान साधक विशेष प्रकार की सिद्धि पाने और मनोकामना पूर्ति हेतु करते हैं। गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आते हैं।
गुप्त नवरात्रि को आख़िर गुप्त क्यों कहा जाता है?
यह बात बहुत कम लोग जानते है कि इन नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है? इसके पीछे क्या कारण है? गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त तांत्रिक सिद्धियाँ पाने और अपनी इच्छापूर्ण करने के लिये साधना करते है। और उनको गुप्त ही रखते है। ऐसी मान्यता है कि साधक गुप्त नवरात्रि की साधना को जितना गुप्त रखता है और उसकों उतनी सफलता प्राप्त होती है।
नवरात्रि साल में कितनी बार आती है
नवरात्रि साल में चार बार आती है। एक वर्ष में मां भगवती की पूजा के लिए चार बार नवरात्रि आती है। जिनमें से दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि और दो नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता हैं।
हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के चैत्र माह और अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को उदय नवरात्रि, प्रकट नवरात्रि और बड़ी नवरात्रि कहा जाता है।
हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि और छोटी नवरात्रि कहा जाता हैं।
क्यों मनाते हैं गुप्त नवरात्रि?
तंत्र साधना के लिये गुप्त नवरात्रि अति महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिंदु मान्यता के अनुसार जिस समयावधि में विष्णु भगवान का शयनकाल होता है उस समयावधि में देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लगती हैं और पृथ्वी पर यम, वरुण आदि का प्रकोप बढ़ने लग जाता है। तब पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों की विपदाओं और विपत्तियों से रक्षा के लिये गुप्त नवरात्रि में आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से बड़ा पुण्य प्राप्त होता है।
कुछ साधक विशेष गुप्त सिद्धियाँ और शक्ति को पाने के लिए गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना करते है। वो देवी माँ को प्रसन्न करने के लिये समस्त प्रकार से प्रयास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम और दुर्गा चालीसा का पाठ शुभ फलदायी होता है। गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान संतान प्राप्ति और शत्रु पर विजय दिलाने वाला है।
गुप्त नवरात्रि में किन देवियों की पूजा की जाती हैं?
पुराणों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में भगवान शिव और माँ काली की पूजा करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि में 10 देवियों की पूजा की जाती है। जिन देवियों की पूजा की जाती है उनके नाम है –
• माँ काली
• भुवनेश्वरी माता
• त्रिपुर सुंदरी
• छिन्न माता
• बगलामुखी देवी
• कमला देवी
• त्रिपुर भैरवी माता
• तारा देवी
• धूमावती माँ
• मातंगी
गुप्त नवरात्रि का क्या महत्व है?
श्रीमदभागवत पुराण में ऐसा उल्लेख है कि वर्ष के दोनों गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में विशेषकर तांत्रिक क्रिया, शक्ति साधना और महाकाल की उपासना का विशेष महत्व है। भक्त दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिये गुप्त नवरात्रि में माँ भगवती के व्रत के कठिन नियमों का पालन करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा कैसे करें?
प्रकट नवरात्रि की ही भांति गुप्त नवरात्रि में भी व्रत-पूजन किया जाता है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक उपवास रखकर सुबह-शाम माँ भगवती की पूजा की जाती है।
• माँ दुर्गा की उपासना करते समय माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करें, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ऐसा करना श्रेष्ठ फलदायी होता है।
• माँ की पूजा करने के बाद माता की आरती करें।
• सुबह और शाम दोनों समय देवी मां को भोग लगायें। यदि कोई विशेष चीज भोग के लिये ना होतो माँ को लौंग और बताशे का भोग लगा सकते हैंं।
• देवी के सामने घी की अखण्ड़ ज्योत करें।
विशेष: गुप्त नवरात्रि के दौरान सुबह और शाम देवी माँ के इस मंत्र का 108 बार जप करने से साधक की इच्छा पूर्ण होती है।
मंत्र: ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे
इस बार का अवश्य ध्यान रखें की गुप्त नवरात्रि नौ दिनों तक साधक अपना आहार और आचार सात्विक रखें।
गुप्त नवरात्रि और प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में क्या अंतर है?
प्रकट (सामान्य) नवरात्रि को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है पर गुप्त नवरात्रि को गुप्त रूप से मनाया जाता है। साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है।
प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में अधिकांश रूप से सिद्धि प्राप्ति के लिये तांत्रिक पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधक को अपनी पूजा और मनोकामना को गुप्त रखने से सफलता प्राप्त
Jyotishacharya Dr Umashankar mishr
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