उमरहा स्थित नवग्रह मंदिर के स्थापना दिवस पऱ संगोष्ठी में युवा ज्योतिषी विकाश त्रिपाठी को मिला गोल्ड मैडल
विज्ञान हो या ज्योतिष सूर्य सहित नौ ग्रहों का जीवन पर पड़ने वाला व्यापक प्रभाव दोनों स्वीकारते हैं। नौ ग्रहों के दर्शन एक साथ हो इसे ग्रहों में आस्था रखने वालों के लिए बड़ी बात है । पूर्वांचल के सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर के इस मंदिर में ग्रहों के मूर्ति को विज्ञान और ज्योतिष दोनों की मान्यताओं को ध्यान में रखकर किया गया है।
बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त पर वाराणसी गाजीपुर मार्ग पऱ स्थित उमरहा में स्थित नवग्रह मंदिर में मंदिर के प्रथम स्थापना दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां एक ओर सूर्योदय के साथ वैदिक ब्राह्मणों के नेतृत्व में षोडशोपचार पूजन के पश्चात नवग्रह पुरश्चरण ,रुद्राभिषेक, होम के आयोजन के बाद परिसर में आयोजित वैदिक संगोष्ठी सम्पन्न हुई। इस अवसर पर संगोष्ठी का अध्यक्षता कर रहे नवग्रह मंदिर के संस्थापक एवं काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रोसेसर नागेंद्र पाण्डेय और मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने काशी के उभरते हुए युवा ज्योतिषकारों का सम्मान किया। जिसमें विकाश त्रिपाठी को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया और पत्रिका ‘ज्योतिष वैज्ञानिकी’ का विमोचन किया गया । संगोष्ठी में प्रोफेसर सदानंद शुक्ला जी, डॉक्टर यस यस पाण्डेय,पंडित शैलेश उपाध्याय,पंडित नीरज शास्त्री , श्रीमद् भागवत एवं राम कथा वक्ता पंडित विष्णु कांत शास्त्री ,एवं श्रीयंका मंजुलमणि,उत्तर प्रदेश सरकार एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वनाथ मंदिर सुनील वर्मा,पंडित प्रदीप कुमार शुक्ला निर्भय आदि अनेक गणमान्य विशिष्ट जनों रहे। संचालन बृज भूषण ओझा के किया। जिसके बाद भंडारा, प्रसाद और रात्रि में प्रवचन एवं भजन संध्या आयोजित हुआ ।
ग्रह शांति के लिए एक ही स्थान पर पूजन अर्चन
मंदिर के संरक्षक ज्योतिषचार्य नागेंद्र पाण्डेय का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण सभी चीजों को ध्यान में रखकर कराया गया है चाहे वह ज्योतिष हो वास्तु हो या फिर विज्ञान। मंदिर भक्त एक साथ सभी ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ कर और करा सकते है । इस मंदिर को बनाने का ख्याल इसलिए आया कि आमतौर पर लोग ग्रह शांति के लिए अलग-अलग स्थानों पर जाते हैं। अभी तक सभी जगह हर ग्रह के अलग-अलग मंदिर हैं और लोगों को अलग-अलग जगह जाना पड़ता है। इस मंदिर के निर्माण से व्यक्ति एक स्थान पर आकर पूजन कर सके।
ग्रह और उनकी पत्नियों के नाम
(1)सूर्य-संध्या, छाया देवी
(2)चन्द्र-रोहिणीदेवी
(3मंगल-शकितदेवी
(4)बुध-इलादेवी
(5)बृहस्पति-तारादेवी
(6)शुक्र-सुकीर्ति-उजस्वतीदेवी
(7)शनि-नीला देवी
(8)राहु-सीम्हीदेवी
(9)केतु-चित्रलेखादेवी
नवग्रह पीठ में दिशा के अनुसार ग्रहों की मूर्ति
सूर्य – मध्य में ठीक सामने नंदी संग शिव लिंग अर्घा
शुक्र – पूर्व
चन्द्र – दक्षिण पूर्व
मंगल – दक्षिण
राहू – दक्षिण पश्चिम
शनि – पश्चिम
केतु – उत्तर पश्चिम
गुरु – उत्तर
बुध – उत्तर पूर्व
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