जानिए कौन थे लोकदेवता ‘भगवान देवनारायण’, जिनके अवतरण दिवस में पहुंचे थे आज पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानि 28 जनवरी को राजस्थान में भीलवाड़ा में थे । पीएम मोदी यहां भगवान देवनारायण के जन्म स्थान मालासेरी डूंगरी का दौरा किया, जो गुर्जर समुदाय का एक पवित्र स्थल माना जाता है। दरअसल मालासेरी डूंगरी में भगवान देवनारायण का 1111वा अवतरण दिवस मनाया जा रहा है।
पीएम मोदी के इस दौरे से देश और दुनिया में राजस्थान के मालासेरी डूंगरी को नई पहचान मिलने की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने भगवान देवनारायण की जयंती (शनिवार, 28 जनवरी) पर राज्य में राजकीय अवकाश घोषित किया है। दरअसल आमजन की आस्था और जनप्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह निर्णय लिया।
कौन थे भगवान देवनारायण?
लोक देवता माने जाने वाले भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार बताया जाता है। गुर्जर समाज में देवनारायण को भगवान की मान्यता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक देवनारायण का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में आसींद विधानसभा क्षेत्र के मालासेरी गांव में राजा सवाई भोज (पिता) और साढ़ू खटाणी (माता) के घर हुआ था। उनका जन्म विक्रम संवत 968 (911 ई.) में माघ महीने की शुक्ला सप्तमी की तिथि को हुआ था।
उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के साथ-साथ घुड़सवारी और हथियार चलाना भी सीखा था। इसी दौरान उन्होंने शिप्रा नदी के तट पर भगवान विष्णु की कठिन साधना की और वहां पर गुरुओं से तंत्र शिक्षा भी प्राप्त की। वे युवावस्था में सबसे शक्तिशाली योद्धा बने। मान्यता के अनुसार देवनारायण की 3 रानियां थीं- पीपलदे परमार (धार के राजा की बेटी), नागकन्या तथा दैत्यकन्या। इनका एक बेटा था बीला जो बाद में देवनारायण के प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।
जन्म से पहले मां को आया सपना?
दरअसल बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था। कहा जाता है कि देवजी के जन्म के एक दिन पूर्व भादप्रद की छठवीं तिथि को उनके प्रिय घोड़े नीलागर का जन्म हुआ था। मान्यता के अनुसार मां साढ़ू को स्वप्न में देवजी के अवतार से पूर्व उनकी सवारी के जन्म का संकेत मिल गया था। वहीं देवजी का बचपन उनके ननिहाल में गुजरा था क्योंकि उनके जन्म से पूर्व उनके पिता राजा सवाई भोज और राजा दुर्जन साल के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राजा सवाई भोज वीरगति को प्राप्त हुए थे।
चमत्कार और रानी पीपलदे से विवाह
लोककथाओं के अनुसार देवनारायण को जब ज्ञान प्राप्ति हुई तो उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार भी दिखाए। इसी दौरान जब धार के राजा जयसिंह की बेटी पीपलदे काफी बीमार हो गई थी, तो देवनारायण ने उन्हें अपनी शक्तियों से ठीक कर दिया। जिसके बाद सहमति से राजा जयसिंह ने उन्हीं के साथ उनका विवाह करवा दिया।
मान्यता है कि देवनारायण ने सूखी नदी में पानी निकाल दिया था। कहते हैं भगवान विष्णु की आराधना करने के बाद देवनारायण को ज्ञान और शक्तियां प्राप्त हुईं, जिनका इस्तेमाल उन्होंने लोककल्याण में किया। यही वजह है कि उस दौर से आज तक उन्हें भगवान मानकर खासकर गुर्जर समुदाय द्वारा पूजा की जाती है और उन्हें लोक देवता माना जाता है।
गायों की पूजा करते थे देवनारायण
भगवान देवनारायण और उनके पिता राजा सवाई भोज के जीवन की कहानी को ‘देवनारायण की फड़’ में कहा जाता है। भगवान देवनारायण की फड़ राजस्थान में एक लोक संस्कृति बन गई है और काफी लोकप्रिय है। वहीं खासकर यह गुर्जर समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही पवित्र पुस्तक है।
ऐसा बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की तरह देवनारायण भी गायों के रक्षक थे। उनके पास 98000 तकरीबन पशुधन था। मान्यता है कि देवनारायण ने पांच ऐसी गायें खोजी थी, जिनमें सामान्य गायों से अलग विशिष्ट लक्षण दिखते थे। देवनारायण प्रतिदिन सुबह उठते ही सबसे पहले उन्हीं गौ माता के दर्शन करते थे, उसके बाद ही आगे का कोई काम किया करते थे।
कहते हैं कि जब देवनारायण की गायों को ‘राण भिणाय’ का राणा (शासक) घेर कर ले जा रहा था तभी देवनारायण गायों की रक्षा के लिए राणा से भयंकर युद्ध करते हैं और गायों को छुड़ाकर लाये थे। देवनारायण की सेना में ग्वाले अधिक थे। 1444 ग्वालों का होना बताया गया है, जिनका काम गायों को चराना और गायों की रक्षा करना था। लोक कथाओं के अनुसार देवनारायण ने अपने अनुयायियों को हमेशा गायों की रक्षा करते है।
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