जानिए कितना जरुरी है कुलदेवी आशीर्वाद ?
इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना , कुण्डलिनी , श्रीविद्या , दसमहाविद्या जो भी कोई साधना आप कर रहे हो , सब एक बाजू रखें । क्योंकि कुलदेवी की कृपा का अर्थ है , सौ सुनार की एक लोहार की, बिना इसके कृपा से किसीके कुल का वंश ही क्या कोई नाम फेम कुछ भी आगे बढ नहीं सकता ।
लोग भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई साधनाए तो करते हैं, पर वो जानते नहीं की जब आप अपनी कुलदेवी को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हो, वो साधना कभी यशस्वी नहीं होती, उलटा कुलदेवी का प्रकोप अथवा रुष्टता और ज्यादा बढ़ती हैं ।
साउथ में और महाराष्ट्र में आज भी कुछ परंपरा हैं, घर के पूजा घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना, घर से बाहर लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले कहना , साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना …… यह सब आज भी हैं ।
हर घर की एक कुलदेवी रहती हैं । आज भारत में 70% परिवार अपने कुलदेवी को नहीं जानते । कुछ परिवार बहुत पीढ़ियों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते । इसके कारण , एक निगेटिव दबाव उस घर के कुल के ऊपर बन जाता हैं और अनुवांशिक प्रॉब्लम पैदा होती हैं
मैंने ही बहुत जगहों पर देखा हैं
1)कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है , एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगो को दिखते हैं
2)मानासिक विकृतियाँ अथवा स्ट्रेस पूरे परिवार में आना
3)कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने जाते है कि सबकुछ गवा देते हैं
4)बच्चे भी गलत मार्ग पर भटक जाते हैं
5)शिक्षा में अड़चनें आती है
6)किसी परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिर भी जॉब ठीक नहीं मिलती
7)कभी तो किसी के पास पैसा बहुत होता है पर मानासिक समाधान नहीं होता
8)यात्राओं में अपघात होते है अथवा अधूरी यात्रा होती हैं
9)बिजनेस में भी कस्टमर पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती ।
10)विदेशों में बहुत भारतीय बसे है , उनके पास पैसा होकर भी एक असमाधानी वृत्ति अथवा कोई न कोई अड़चन आती है , इतने लंबा सफर से भारत में कुलदेवी के दर्शन के लिए नहीं आ सकते ।
याद रखिये
यह सब प्रॉब्लम आप किसी हीलिंग अथवा किसी ध्यान अथवा किसी दस महाविद्या के मंत्रो से दूर नहीं कर सकते ।
इसलिए , कोई भी महाविद्या के प्रति आकर्षित होने से पहले अपने कुलदेवी को पुकारो । अगर आज नहीं तो कल की पीढ़ी के लिए बहुत दिक्कतें होगी ।
कइयों को लगेगा वो श्रीनाथ जी जाते हैं , तिरुपती जाते हैं , चारधाम जाते हैं , शिर्डी जाते हैं … साल में एक दो बार दर्शन के लिए । इससे कुलदेवी प्रसन्न नहीं होती । बल्कि वो शक्तियाँ भी आपको यही कहेंगी की पहले अपने माँ बाप को याद करो फिर मेरे पास आओ।
कुलदेवी के रोष में कई संस्थान , राजवाड़े , महाराजे खत्म हुए । कई परिवार के वंश नष्ट हुए लिहाजा कुलदेवी का पूजन आवश्यक है
– ज्योतिषचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
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