Home 2023 03, 04 एवं 05 फरवरी को माघ मास की अंतिम 3 तिथियाँ क्यों है बेहद ख़ास, आपको भी मिल सकता है महापुण्य पुंज,

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03, 04 एवं 05 फरवरी को माघ मास की अंतिम 3 तिथियाँ क्यों है बेहद ख़ास, आपको भी मिल सकता है महापुण्य पुंज,

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम 3 तिथियाँ, त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक (03, 04 एवं 05 फरवरी) की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं । जो सम्पूर्ण माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में पुण्य स्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन 3 तिथियों में भी उसे करे तो माघ मास का पूरा फल पा लेता है ।

वैसे तो माघ मास की हर तिथि पुण्यमयी होती है और इसमें सब जल गंगाजल तुल्य हो जाते हैं | सतयुग में तपस्या से जो उत्तम फल होता था, त्रेता में ध्यान के द्वारा, द्वापर में भगवान् की पूजा के द्वारा और कलियुग में दान-स्नान के द्वारा तथा द्वापर, त्रेता, सतयुग में पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष शुद्धि, संतोष आदि नियमों का पालन करने से जो फल मिलता है, वह कलियुग में माघ मास में अंतिम 3 दिन- त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को प्रातः स्नान करने से मिल जाता है |

माघ मास प्रातः स्नान सब कुछ देता है . आयुष्य लम्बी करता है, अकाल मृत्यु से रक्षा करता है ,आरोग्य देता है, रूप देता है, बल देता है ,संतान की वृद्धि ,सदाचरण और सत्संग देता है,वृत्तियाँ निर्मल होती हैं और विचार ऊंचे होते हैं।

अक्षय धन(जिसका कभी क्षय नहीं), रुपया पैसा भी बरकत वाला हो जाता है और विद्या भी अक्षय धन में बदल जाती है।

सकाम भाव से स्नान करते हैं तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, निष्काम भाव से भगवान् की प्रीति पाने के लिए स्नान करते तो वो भी सहेज में हो जाती है।

माघ मास स्नान, सत्संग स्नान जिसने किया उसे नरक का डर नहीं रहता, दरिद्रता और पाप उसके छू हो जाते हैं। ईश्वर प्राप्ति न भी करनी हो तो भी माघ मास का स्नान स्वर्ग लोक तो तुम्हारा सहज में ही रिज़र्व करा देता है।

जो माघ मास की अंतिम ३ तिथियों में ‘गीता’, ‘श्री विष्णु सहस्रनाम’‘भागवत’ शास्त्र का पठन व श्रवण करता है वह महा पुण्यवान हो जाता है ।

ज्योतिषचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र


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Author: Admin Editor MBC

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