Home 2023 राम मंदिर निर्माण में लगेगें शालिग्राम के पवित्र शिला , जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व

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राम मंदिर निर्माण में लगेगें शालिग्राम के पवित्र शिला , जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व

अयोध्या। नेपाल के काली गंडकी से अयोध्या लाई गई देव शिला का पूजन हुआ। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री सहित जानकी मंदिर के महंत ने पूजन किया। वैदिक रीति रिवाज से पूजन के बाद शालिग्राम शिला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपी गई। इससे पहले, नेपाल के जनकपुर से चलकर शालिग्राम शिला बुधवार की देर रात रामनगरी पहुंची। भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली इस शिला का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किया गया। हाईवे से जैसे ही देर रात शालिग्राम यात्रा ने प्रवेश किया तो जय श्री राम के नारे गूंजने लगे। लोगों ने पुष्प वर्षा की तो जमकर आतिशबाजी भी हुई। अयोध्या पहुंचने पर शालिग्राम शिला पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र, निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित अन्य भाजपा नेताओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।इसके बाद सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ शालिग्राम यात्रा रामसेवक पुरम कार्यशाला पहुंची। यहां श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी और महंत दिनेंद्र दास ने शालिग्राम शिला पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

क्या है ये शिला

दरअसल शालिग्राम पत्थरों को लेकर एक मान्यता है। गंडकी के पत्थर को शालिग्राम कहा जाता है, जिसे भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। काली गंडकी जब नेपाल से बिहार आती है तो उसे नारायणी कहा जाता है।

मंदिर में एक तरफ जहां राजस्थान के गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल हो रहा है वहीं दूसरी ओर दो बड़े शालिग्राम पत्थर (पवित्र पत्थर) भी नेपाल से मंगाए गए हैं।

नेपाल गंडकी के पवित्र पत्थर

नेपाल में काली गंडकी जलप्रपात से लाए गए शालिग्राम शिला को बिहार से उत्तर प्रदेश के रास्ते रामनगरी पहुंचा । सदियों पुराने माने जाने वाले शालिग्राम पत्थरों के साथ लगभग 100 विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पदाधिकारी और नेपाल से पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी साथ थे ।

शालिग्राम के पत्थरों का मूर्ति को तराशने में होगा इस्तेमाल

26 टन और 14 टन वजनी पत्थरों को दो ट्रेलरों पर लादा गया था।
शालिग्राम के पत्थर राम लला की मूर्ति को तराशने के लिए एक विकल्प हैं। कर्नाटक और ओडिशा के पत्थर भी इसी उद्देश्य के लिए अयोध्या पहुंचेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 28 जनवरी को दो दिवसीय बैठक के बाद कहा था कि पत्थर अयोध्या में राम कथा कुंज तक पहुंचेंगे जहां उन्हें भक्तों द्वारा पूजा के लिए खोला जाएगा।

नेपाल की काली गंडकी से लाई जा रही शिलाएं

दरअसल, नेपाल में काली गंडकी नाम का एक झरना है। यह दामोदर कुंड से निकलती है और गणेश्वर धाम गंडकी से लगभग 85 किमी उत्तर में है। ये दोनों पत्थर वहीं से लाए गए हैं। यह स्थान समुद्र तल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लोग यहां तक कहते हैं कि यह करोड़ों साल पुराना है।


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Author: Admin Editor MBC

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