आज से शुरू हो रहा है फाल्गुन माह, जानें महत्त्व, नियम और पूजा विधि
हिन्दू पंचांग के अनुसार 6 फरवरी, दिन सोमवार यानी कि आज से फाल्गुन माह की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, इसका समापन 7 मार्च, दिन मंगलवार को होगा। हिन्दू धर्म में फाल्गुन माह के दौरान भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही पोजा का अत्यंत महत्व है।
फाल्गुन माह का महत्व
फाल्गुन माह में भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी माह में भगवान शिव ने वैराग्य त्याग कर माता पार्वती से विवाह किया था और अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी। जिस दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था उसी दिन को आज पूरा संसार महाशिवरात्रि के रूप में मनाता है।
फाल्गुन माह में श्री कृष्ण की पूजा का भी अत्यंत महत्व है। मान्यता है कि इस माह में सच्चे हृदय से भगवन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाए तो इससे संतान प्राप्ति के योग बनाते हैं। भगवान श्री कृष्ण के युवा रूप की पूजा की जाए तो प्रेम की प्राप्ति होती है और अगर गुरु रूप की पूजा की जाए तो ज्ञान मिलता है।
इस माह में चंद्र देव की पूजा का भी अत्यंत महत्व है। मान्यता है कि फाल्गुन माह में चंद्र देव की पूजा करने से और उन्हें जल अर्पण करने से स्वास्थ्य, सौंदर्य, सम्मान और पारिवारिक सुख के साथ-साथ मानसिक और आत्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है। चंद्रमा मन के कारक माने जाते हैं ऐसे में इनकी पूजा से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
फाल्गुन माह की पूजा विधि
इस माह में रोजाना प्रातः स्नान करें।
स्नान के बाद अपने इष्ट देव का ध्यान करें।
आप जिन भी भगवान को मानते हैं उनके मंत्रों का जाप करें।
मंत्र जाप के बाद उन्हें भोग अवश्य लगाएं और उनकी आरती उतारें।
आरती के बाद भोग को प्रसाद के रूप में खुद भी खाएं और अपने अप्रिवार को भी खिलाएं।
इस पूरे माह में अपने इष्ट देव को रंग-बिरंगे सुगन्धित पुष्प अवश्य चढ़ाएं।
सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा को जल अर्पित करना न भूलें।
फाल्गुन माह के नियम
इस माह में शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
इस माह में अनाज का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
इस माह में ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करना चाहिए।
इस माह में रंगीन पुष्पों से भगवान की पूजा करनी चाहिए।
मांस-मछली या नशीली चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
वाणी पर संयम और क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए।
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