आखिर क्यों आज 4 घंटों के लिए बंद रहेगा पुरी का जगन्नाथ मंदिर
आज यानि कि 8 फरवरी, बुधवार के दिन जगन्नाथ मंदिर के पट 4 घंटे के लिए बंद रहेंगे। मंदिर के 4 घटे तक बंद रहने के पीछे का कारण मंदिर में किये जाने वाले कुछ विशेष रीति-रिवाज हैं। दरअसल, जगन्नाथ मंदिर में आज ‘बनका लागी’ और ‘श्रीमुख श्रृंगार’ की विधि की जाएगी।
इस लिए भक्तों के लिए आज इस दौरान 4 घंटे तक मंदिर के द्वार बंद रहेंगे। यानि कि शाम के 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक भक्त जगन्नाथ भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे। बता दें कि, बनकलगी या ‘श्रीमुख श्रृंगार’ अनुष्ठान एक गुप्त और विशेष अनुष्ठान है जिसका श्रीमंदिर परंपरा में बहुत महत्व है।
बनकलगी नीति या श्रीमुख श्रृंगार का अर्थ है देवताओं की मूर्तियों पर ताजा रंग लगाना। यह गुप्त अनुष्ठान मंदिर के गर्भगृह में सेवायतों द्वारा किया जाएगा। जगन्नाथ मंदिर में स्थापित पवित्र त्रिमूर्ति यानी कि भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा भगवान सुदर्शन के साथ इस विशेष श्रृंगार अनुष्ठान के बाद एक नए रूप में सुशोभित होंगे।
बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में सहोदर देवताओं का ‘श्रृंगार अनुष्ठान’ आमतौर पर वर्ष में सात से आठ बार आयोजित किया जाता है। जब-जब इस परंपरा का आयोजन होता है तब-तब उस दिन कुछ घंटों के लिए मंदिर भक्तों के लिए पूर्णतः बंद हो जाता है।
इस अनुष्ठान की शुरुआत रथ यात्रा के बाद नीलाद्रि बीज अनुष्ठान के पश्चात शुरू होती है। बनका लागी का नाम ‘बाना’ से लिया गया है जिसका अर्थ है जंगल और ‘लगी’ का अर्थ लागू होता है। संस्कृत विशेषज्ञों के अनुसार, इस विधि में इस्तेमाल होने वाले चार रंगों को बनाने के लिए जंगल के कुछ विशेष उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।
जिनमें हरीतला (लाल), हेंगुला (पीला), शंख (सफेद) और काला रंग शामिल है जो भगवान के चेहरे पर लगाने के लिए इस्तेमाल में लाये जाते हैं। देवताओं का ‘बनका लागी अनुष्ठान’ एक विशेष वर्ग के सेवक द्वारा किया जाता है जिसे दत्ता महापात्र के रूप में जाना जाता है। ‘बनका लागी अनुष्ठान’ के बाद जगन्नाथ भगवान समेत सभी को स्नान कराया जाएगा और फिर भक्तों के लिए मंदिर केद्वार पुनः खोल दिए जाएंगे।
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