महाशिवरात्रि : ये हैं महादेव पूजन का शुद्ध तरीका, इन पूजा सामग्री और मंत्र से स्वयं करे पूजा
चतुर्दशी को प्रात: स्नानादि से निवृत होकर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गणेशजी का ध्यान पूजन करें और फिर शिवरात्रि पूजन प्रारंभ करें। पहले शिवजी का ध्यान करें। फिर आगे की पूजा प्रारंभ करें।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन प्रात:काल से लेकर रात्रि के चारों प्रहर तक किया जाता है। विशेषकर रात्रि की पूजा का अधिक महत्व है। 18 फरवरी को रात्रि के चारों प्रहर में अलग-अलग प्रकार से पूजन किया जाता है। शिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है किंतु व्रत त्रयोदशी से ही प्रारंभ हो जाता है। व्रती त्रयोदशी के दिन रात्रि भोजन का त्याग करे। चतुर्दशी को प्रात: स्नानादि से निवृत होकर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गणेशजी का ध्यान पूजन करें और फिर शिवरात्रि पूजन प्रारंभ करें। पहले शिवजी का ध्यान करें। फिर आगे की पूजा प्रारंभ करें।
पूजन सामग्री
सफेद चंदन, रोली, कलावा, धूपबत्ती, कपूर, घी का दीपक, रूई, पान-सुपारी, चावल, अबीर-गुलाल, यज्ञोपवीत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र, धतूरा, पूर्वा, कुशा, नारियल, इत्र, मिष्ठान्न, ऋतुफल, गंगाजल, छोटी इलायची, पंचमेवा, लौंग, गन्ना अथवा गन्ने का रस, पंचामृत।
आवाहन-
आगच्छ भगवन! देव! स्थाने चात्र स्थिरो भव। यावत पूजां करिष्येहं तावत् त्वं संनिधौ भव।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। आवाहनार्थे पुष्पं समर्पयामि।
पुष्प अर्पित करें।
आसन-
अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगणन्वितम् । इदं हेममयं दिव्यमासनं प्रतिगृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। आसनार्थे बिल्वपत्रं समर्पयामि।
बिल्वपत्र अर्पित करें।
पाद्य-
गंगोदकं निर्मलं च सर्वसौगन्ध्यसंयुतम् । पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं मे प्रतिृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। पादया: पाद्यं समर्पयामि।
जल चढ़ाएं।
अर्घ्य-
गंधपुष्पाक्षतैर्युक्तमघर््य संपादितं मया । गृहाण भगवन् शंभो प्रसन्नो वरदो भव ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। हस्तयो: अघर््य समर्पयामि।
चंदन, पुष्प, अक्षतयुक्त अर्घ्य समर्पण करें।
आचमन-
कर्पूरेण सुगंधेन वासितं स्वादु शीतलम् । तोयमाचमनीयरथ गृहाण परमेश्वर ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। आचमनीयं जलं समर्पयामि।
कर्पूर से सुवासित जल चढ़ाएं।
स्नान-
मंदाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव स्नानरथ प्रतिगृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। स्नानीयं जलं समर्पयामि।
गंगाजल चढ़ाएं।
स्नानांग आचमन-
स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
जल चढ़ाएं।
पंचामृत स्नान-
पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम् । पंचांमृतं मयानीतं स्नानरथ प्रतिगृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। पंचामृत स्नानं समर्पयामि।
गोदुग्ध, घृत, मधु, शर्करा, दही से बने बने पंचामृत से स्नान करवाएं।
शुद्धोदक स्नान-
शुद्धं यत् सलिलं दिव्यं गंगाजलसमं स्मृतम्। समर्पितं मया भक्त्या शुद्धस्नानाय गृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि।
शुद्ध जल से स्नान करवाएं।
स्नानांते आचमन- शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
आचमन के लिए जल चढ़ाएं।
वस्त्र-
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् । देहालंकरणं वस्त्रं धृत्वा शांतिं प्रयच्छ मे ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। वस्त्रं समर्पयामि। वस्त्र चढ़ाएं।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। वस्त्रांते आचमनीयं जलं समर्पयामि। जल चढ़ाएं।
उपवस्त्र-
उपवस्त्रं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने। भक्त्या समर्पितं देव प्रसीद परमेश्वर।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। उपवस्त्रं समर्पयामि।
उपवस्त्रांते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद यज्ञोपवीत चढ़ाएं।
अब विविध द्रव्यों से पूजन करें-
चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र, दूर्वा, शमी, आभूषण, परिमलद्रव्य भेंट करें।
इसके बाद धूप दिखाएं, दीपक लगाएं। नैवेद्य, ऋतुफल, तांबूल अर्पित करने के बाद दक्षिणा भेंट करें।
अब आरती करें-
कदलीगर्भसंभूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम् । आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मां वरदो भव ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। आरार्तिक्यं समर्पयामि।
कर्पूर से आरती करें और आरती के बाद जल गिराएं।
प्रदक्षिणा-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। प्रदक्षिणां समर्पयामि।
मंत्र पुष्पांजलि-
श्रद्धया सिक्तया भक्त्या हार्दप्रेम्णा समर्पित: । मंत्र पुष्पांजलिश्चायं कृपया प्रतिगृहृयताम् ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। मंत्र पुष्पांजलिं समर्पयामि।
फुष्पांजलि अर्पित करें।
नमस्कार-
नम: सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे । साष्टांगोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृत: ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। नमस्कारान् समर्पयामि।
क्षमा याचना-
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर । यत्पूजितं मया देव परिपरूण तदस्तु मे ।।
श्री भगवते साम्बशिवाय नम:। क्षमायाचनां समर्पयामि।
अंत में चरणोदक और प्रसाद ग्रहण करें।
इसके बाद रात्रि के चारों प्रहरों में सामान्य पूजन, मंत्र जप, भजन-कीर्तन करें।
18 फरवरी को रात्रि के चार प्रहरों का समय
प्रथम प्रहर : सूर्यास्त 6.21 से रात्रि 9.31 तक
द्वितीय प्रहर : रात्रि 9.31 से मध्यरात्रि 12.41 तक
तृतीय प्रहर : मध्यरात्रि 12.41 से अपररात्रि 3.51 तक
चतुर्थ प्रहर : अपररात्रि 3.51 से सूर्योदय 7.01 बजे तक
इन्हें भी पढ़िए..
शिवरात्रि पर ये राशियां होंगी मालामाल, इन पर होगी शिव की कृपा
महाशिवरात्रि : जानिए व्रत जुड़ी कथा, जब शिकारी पर हुई शिव कृपा
महाशिवरात्रि पर क्यों होती है शिवलिंग की पूजा ? क्यों ख़ास हैं ये दिन..
जानें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर
भगवान शिव को बेलपत्र है बेहद प्रिय, शिवलिंग पर इसे ऐसे चढ़ाने से होगा फायदा
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां
महाशिवरात्रि : जानिए भोलेनाथ को कौन- कौन से रस और फूल अर्पित करने से क्या- क्या मिलता है…?
पौराणिक कथा : भगवान शिव का नाम त्रिपुरारी कैसे पड़ा
इस स्थान पर होती है शिवलिंग की रात में पूजा, जानें इसकी वजह
दैनिक पंचांग / राशिफल
आज का पंचांग, 17 फरवरी 2023, शुक्रवार
जन्मदिन फल 17 फरवरी – आज जन्मे लोग का ऐसा होता हैं स्वभाव
आज जिनका जन्मदिन हैं, 16 फरवरी
आज का पंचांग 16 फरवरी 2023 गुरुवार
साप्ताहिक राशिफल 13 -19 फरवरी : जानिए ग्रहों के चाल से कैसा रहेगा यह सप्ताह
अवश्य पढ़िए..
साल का पहला सूर्य ग्रहण, राशियों पर क्या होगा प्रभाव
<a
ज्योतिष के अनुसार माथे पर चंदन का तिलक लगाने के फायदे
किनको और क्यों रखना चाहिए शिखा या चोटी, मिलता हैं ये लाभ…
भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की तरह क्यों नहीं लगता महादेव के आगे ‘श्री’
इस साल 7 या 8 मार्च, किस दिन खेली जाएगी होली? जानें होलिका दहन का सही मुहूर्त
जानिए क्या है फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व, किनका करें पूजा…
ये हैं आज से शुरू हुए हिंदी कैलेंडर के अंतिम मास फागुन की ख़ास बातें
आज से शुरू हो रहा है फाल्गुन माह, जानें महत्त्व, नियम और पूजा विधि
यदि हैं आज कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान, राहत के लिए आजमाये ये उपाय
छिड़कें दो चुटकी नमक, मिलेगा जोरदार तरक्की आपको अपने करियर में
शनि देव को शांत करने के पाँच प्रयोग, पढ़िए ब्रह्म पुराण’ में क्या कहते है शनिदेव
कुछ ऐसा रहेगा आपका फरवरी में ग्रह चाल , जानिए अपने राशि का हाल
ये है फरवरी माह के व्रत, त्योहार और छुट्टी की लिस्ट, जानिए कब है महाशिवरात्रि ?
पौराणिक कथाएं
आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन
पत्थर रूप में ही क्यों शिंगणापुर में प्रकट हुए शनि पढ़िए पुरी कहानी
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी सुझाव संग पसंद – नापसंद जरूर बताएं। साथ ही जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी “ के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है। 9889881111
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता को जाँच लें । सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/ प्रवचनों /धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply