क्या है मंगला आरती ? जानिए महत्व और इससे जुड़ी पहलू
दरअसल इसे भोर के दौरान किया जाता है इसलिए इस आरती को मंगला आरती कहते हैं।
इस आरती के जरिए निद्रा में सोए हुए भगवान को जगाया जाता है इसलिए इस आरती को बहुत ध्यानपूर्व करना चाहिए।
वैसे ये आरती छोटी होती है, जो कि धूप या दीपक से की जाती है और इस आरती में बहुत सारे वाद्ययंत्र भी नहीं होते हैं।
इस आरती के बाद कुछ जगहों पर ईश्वर को जल अर्पित किया जाता है, माना जाता है कि प्रभु को नींद के जागने के बाद प्यास लगी होगी।
कुछ जगहों पर शंख के स्वर से इस आरती का प्रारंभ होता है और इस आरती के बाद दीए और धूप से पूरे मंदिर प्रांगण सुगंधित किया जाता है।
वैसे तो आरती का समय हर जगह 3 बजे से 5 बजे तक होता है लेकिन कहीं -कहीं ये आरती 6 बजे तक भी होती है|
क्यों होती है आरती, क्या है महत्व?</strong
आपको बता दें कि कोई भी पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक कि उसका समापन आरती के जरिए ना हो। हिंदू पूजा में आरती का बहुत महत्व है। गौरतलब है कि आरती का अर्थ ही है ईश्वर को याद करना, उनकी उपासना करना और उनके प्रति आदर व्यक्त करना। आरती के जरिए भक्त अपनी पूजा में हुई भूल के लिए ईश्वर से माफी भी मांगता है। मालूम हो कि आरती शब्द संस्कृत शब्द अरात्रिका से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है वो प्रकाश , जो कि रात के अंधेरे को दूर करता है।
आरती का महत्व
आरती के जरिए भक्त की पूजा पूरी होती है।
आरती को हमेशा गोलाकार शेप में घुमाया जाता है।
आरती की उच्च ध्वनि मन को राहत देती है ।
परिवार के साथ की गई आरती आपस में प्रेम को बढ़ाती है।
आरती के दीपक से घर की और मन की सारी निगेटिव चीजें दूर हो जाती हैं।
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