जानिए क्या हैं राम गीता, कृष्ण से नहीं राम से जुड़ी हैं चार गीता
गीता शब्द सुनते ही जो पहला नाम याद आता है वो श्री कृष्ण का है। श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। न सिर्फ अर्जुन बल्कि समस्त देवी-देवता और ब्रह्मांड के हर एक जीव-जंतु ने गीता वाणी में खुद को सराबोर पाया था लेकिन क्या अपने कभी राम जी की गीता के बारे में सुना है।
राम गीता में श्री राम के भगवान होने का साक्ष्य और उनके सुंदर रूप का वर्णन मिलता है। अबतक कुल 4 राम गीता लिखी गईं हैं जिनमें श्री राम से जुड़ी अलग- अलग घटनाओं का विस्तृत वर्णन है और एक भिन्न अनुवाद भी है।
पहली राम गीता को गुरु ज्ञानवासिष्ठ तत्वसारायण नामक पुस्तक का एक भाग माना जाता है। इस राम गीता में श्रीमद्भागवत गीता ही तरह 18 अध्याय हैं। यह रामगीता श्रीराम और हनुमान संवाद के रूप में प्रचलित हैं। यानी कि इसमें हनुमान जी और श्री राम के बीच जो भी बातें और जब भी हुई हैं उनका अनुवाद लिखा गया है।
दूसरी राम गीता बहुत पीड़ा दायक है क्योंकि उसमें वनवास के बाद माता सीता और श्री राम के अयोध्या लौटने का वर्णन तो है मगर माता सीता के ऊपर अयोध्या वासी द्वारा लगाए गुए लांछन का उल्लेख भी मिलता है। राजा का कर्त्तव्य निभाने हेतु लक्ष्मण भैय्या द्वारा माता सीता को दोबारा अकेले वन भेजने के बारे में इस राम गीता में लिखा गया है।
तीसरी रामगीता ब्रह्मांड पुराण के उत्तरखंड में अध्यात्म रामायण एक भाग है। इस रामगीता में कुल 62 श्लोक हैं। इस रामगीता में श्री राम ने कर्मों को महत्व देते हुए व्यक्ति को अपने कर्मों का निर्वाह कैसे करना चाहिए इस बारे में बताया है। श्री राम ने लक्ष्मण जी के आग्रह पर उन्हें यह गीता स्वयं सुनाई थी और उन्हें कर्मों का महत्व बताया था।
चौथी राम गीता स्कन्दपुराण के निर्वाणखंड में एक भाग ‘रामगीता सटीका’ के रूप में मौजूद है। इस राम गीता में श्री राम के मनोहर स्वरूप और उनके परब्रह्म होने के साक्ष्य बताए गए हैं।
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