जानिए, चैत्र मास की पूरी बातें साथ ही इस मास का महत्व, नियम और उपाय
हिन्दू धर्म में चैत्र माह का अत्यंत विशेष स्थान है। चैत्र के महीने से ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र के महीने में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना की थी। धर्म-ग्रंथों में इस माह को पूजा-पाठ और अनुष्ठान आदि के लिए बहुत शुभ और लाभकारी माना गया है।
इस माह में श्रद्धापूर्वक किया गया पूजा-पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि करोड़ गुना ज्यादा फलित होता है। यही कारण है कि इस माह में व्रत आदि का भी बहुत महत्व है। ऐसे में आइये जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है चैत्र माह और साथ ही जानेंगे इस माह से जुड़े नियम और उपाय।
मास प्रारम्भ
चैत्र महीने का शुभारंभ 9 मार्च, दिन बुधवार से हो रहा है। वहीं, इस महीने का समापन 16 अप्रैल, शनिवार को होगा। इस महीने में मुख्य रूप से भगवान विष्णु के अलावा माता रानी यानी कि मां दुर्गा की पूजा का विधान है। श्री हरि और मां दुर्गा की पूजा से भक्तों के दुख दूर हो जाते हैं।
मास की विशेषता
चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है। इसी कारण से इस माह का नाम चैत्र पड़ा। इस माह में चंद्र ग्रह मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। यह माह भक्ति को संयम का माना जाता है। इस महीने से ही वसंत ऋतु का समापन और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
क्यों है चैत्र माह का महत्व
चैत्र माह में भगवान विष्णु ने अपना प्रथम मत्स्य अवतार लिया था। माना जाता है कि धरती के पहले मनुष्य मनु को भगवान विष्णु ने प्रलय के दौरान बचाया था और उन्हीं से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई। इसी कारण से चैत्र का महीना महत्वपूर्ण माना जाता है।
नव संवत यानी कि हिन्दू नव वर्ष प्रारंभ होने के साथ ही प्रकृति में भी बदलाव दिखने लगता है। वहीं, माना जाता है कि मां दुर्गा ने पहली बार अपने नव दुर्गा रूप के दर्शन समस्त संसार को इसी माह में दिए थे। इसलिए इस महीने में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
कौन-कौन से त्यौहार
इस माह का सबसे पहला त्यौहार है कृष्ण पक्ष की पंचमी में पड़ने वाला रंगपंचमी का पर्व। पापमोचनी एकादशी भी इसी माह में आती है। इस महीने से नवसंवत्सर का आरंभ होता है। इस माह में नवरात्र मनाए जाते हैं। नवमी तिथि को श्रीराम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
चैत्र माह की पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है। खास बात यह कि इस माह की पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन करने और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस माह में धार्मिक कार्यों और दान-पुण्य आदि को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
किन की पूजा करनी चाहिए चैत्र माह में
यूं तो आप किसी भी भगवान की पूजा कर सकते हैं लेकिन इस माह में विशेष रूप से मां दुर्गा और भगवान शिर हरि विष्णु की पूजा का विधान है। इस माह में सूर्य को अर्घ्य देना और पीपल, केले, बरगद, नीम, शमी, तुलसी आदि पेड़ पौधों को पानी देना बहतु शुभ माना जाता है।
कौन से नियमों का पालन करना चाहिए चैत्र माह में ?
इस महीने में अनाज कम खाना चाहिए और पानी का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इस माह में सूर्य देव की उपासना अवश्य करनी चाहिए। इस माह में गुप्त दान करना चाहिए। शक्ति, बल और साहस के लिए मां का ध्यान करना चाहिए। इस माह में लाल रंग को अपने पास किसी न किसी रूप में रखना चाहिए।
कौन से उपाय
चैत्र माह में एक लाल कपड़े में 5 प्रकार के लाल फल रखकर किसी को दान करना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
चैत्र माह में पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करते हुए लाल रंग अर्पित करना चाहिए। इससे जीवन में शांति स्थापित होती है।
चैत्र माह में हर बृहस्पतिवार को केले के पेड़ की पूजा करते हुए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे गुरु ग्रह मजबूत होते हैं।
चैत्र माह में जानवरों को पानी पिलाने से अधिक पुण्य का काम और कुछ भी नहीं। इससे घर में मां लक्ष्मी का वास बना रहता है।
चैत्र माह में 108 बार अपने इष्ट देव का पान के पत्तों पर नाम लिखकर मंदिर में रखने से घर में वैभवता और ऐश्वर्य की स्थापना होती है।
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