शीतला सप्तमी अष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि कथा उपाय और मंत्र
इस वर्ष जहां 12 मार्च को रंगपंचमी है, वहीं उसके बाद आने वाली चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी तिथि पर शीतला माता का खास पर्व शीतला सप्तमी अष्टमी मनाया जाएगा। यह दिन पुत्रवती माताओं के लिए बहुत खास हैं. क्योंकि महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए यह व्रत करती है।
मान्यता के अनुसार शीतला माता देवी भगवती दुर्गा का ही एक रूप है। अतः इनका पूजन करते हुए इस दिन माताएं ठंडा या बासी खाने का भोग लगाकर खुद भी यह ग्रहण करती है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के एक दिन पूर्व ही कई प्रकार के पकवान माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार करके अष्टमी के दिन उन्हें इन्हीं बासी पकवान को नैवेद्य के रूप में देवी शीतला माता को समर्पित किए जाते हैं।
शीतला सप्तमी पूजा विधि
– अष्टमी के दिन अलसुबह जलदी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।
– शीतला सप्तमी के दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
• स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-
‘मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन
पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये’
– संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
– सप्तमी के दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।
-पूजन का मंत्र ‘हूं श्रीं शीतलायै नमः’ का निरंतर उच्चारण करें।
• माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है।
– इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों मेवे मिठाई पआ. परी. दाल-भात आदि का भोग,लगाएं। ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अतः भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही खाते हैं और उसी को मां शीतला को अर्पित करते हैं।
– तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।
– कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।
• रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।
– कई स्थानों पर शीतला सप्तमी को लोग गुड़ और चावल का बने पकवान का भोग लगाते हैं। पूजा करने के बाद गुड़ और चावल का प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। जिस घर में सप्तमी – अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती। तथा रोगों से मुक्ति निजात भी मिलती है।
– इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भीदेवी मां शीतला की पूजा करने का विधान है।
कथा:
शीतला माता के पूजन संबंधी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक राजा के इकलौते पुत्र को शीतला (चेचक) निकली। उसी के राज्य में एक काछी-पुत्र को भी शीतला निकली हुई थी। काछी परिवार बहुत गरीब था, पर भगवती का उपासक था। वह धार्मिक दृष्टि से जरूरी समझे जाने वाले सभी नियमों को बीमारी के दौरान भी भली-भांति निभाता रहा।
घर में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता था। नियम से भगवती की पूजा होती थी। नमक खाने पर पाबंदी थी। सब्जी में न तो छौंक लगता था और न कोई वस्तु भुनी-तली जाती थी गरम वस्तु न वह स्वयं खाता, न शीतला वाले लड़के को देता था। ऐसा करने से उसका पुत्र शीघ्र ही ठीक हो गया।
उधर जब से राजा के लड़के को शीतला का प्रकोप हुआ तब से उसने भगवती के मंडप में शतचंडी का पाठ शुरू करवा | रखा था। रोज हवन व बलिदान होते थे। राजपुरोहित भी सदा भगवती के पूजन में निमग्न रहते। राजमहल में रोज कड़ाही चढ़ती, विविध प्रकार के गर्म स्वादिष्ट भोजन बनते। सब्जी केसाथ कई प्रकार के मांस भी पकते थे। इसका परिणाम यह होता कि उन लजीज भोजनों की गंध से राजकुमार का मन मचल उठता। वह भोजन के लिए जिद करता। एक तो राजपुत्र और दूसरे इकलौता, इस कारण उसकी अनुचित जिद भी पूरी कर दी जाती।
इस पर शीतला का कोप घटने के बजाय बढ़ने लगा। शीतला के साथ-साथ उसे बड़े-बड़े फोड़े भी निकलने लगे, जिनमें खुजली व जलन अधिक होती थी। शीतला की शांति के लिए राजा जितने भी उपाय करता, शीतला का प्रकोप उतना ही बढ़ता जाता। क्योंकि अज्ञानतावश राजा के यहां सभी कार्य उलटे हो रहे थे। इससे राजा और अधिक परेशान हो उठा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इतना सब होने के बाद भी शीतला का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है।
एक दिन राजा के गुप्तचरों ने उन्हें बताया कि काछी-पुत्र को भी शीतला निकली थी, पर वह बिलकुल ठीक हो गया है। यह जानकर राजा सोच में पड़ गया कि मैं शीतला की इतनी सेवा कर रहा हूं, पूजा व अनुष्ठान में कोई कमी नहीं, पर मेरा पुत्र अधिक रोगी होता जा रहा है जबकि काछी पुत्र बिना सेवा पूजा के ही ठीक हो गया। इसी सोच में उसे नींद आ गई।
श्वेत वस्त्र धारिणी भगवती ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा- ‘है राजन्! मैं तुम्हारी सेवा अर्चना से प्रसन्न हूं। इसीलिए आज भी तुम्हारा पुत्र जीवित है। इसके ठीक न होने का कारण यह है कि तुमने शीतला के समय पालन करने योग्य नियमों का उल्लंघन किया। तुम्हें ऐसी हालत में नमक का प्रयोग बंद करना चाहिए। नमक से रोगी के फोड़ों में खुजली होती है।
घर की सब्जियों में छौंक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसकी गंध से रोगी का मन उन वस्तुओं को खाने के लिए ललचाता है। रोगी का किसी के पास आना-जाना मना है क्योंकि यह रोग औरों को भी होने का भय रहता है। अतः इन नियमों का पालन कर, तेरा पुत्र अवश्य ही ठीक हो जाएगा।’ विधि समझाकर देवी अंतर्ध्यान हो गई। प्रातः से ही राजा ने देवी की आज्ञानुसार सभी कार्यों की व्यवस्था कर दी।
इससे राजकुमार की सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और वह शीघ्र ही ठीक हो गया। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और माता देवकी का विधिवत पूजन करके मध्यकाल में सात्विक पदार्थों का भोग लगाने की मान्यता है। इस तरह पूजन एवं कथा वाचन से पुण्य की प्राप्ति तथा कष्टों का निवारण होता है।
व्रत के फायदे
– शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है।
– मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।
– शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी । अतः इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है।
– शीतला सप्तमी अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है।
माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है।
नवीनतम जानकारी
जानिए कब और क्या हैं रंग पंचमी, क्यों निभाते हैं ये परम्परा,यह 9 तरह की परंपराएं
कब है चंद्रभाल संकटी चतुर्दशी जाने पूजा की पूरी विधि चंद्रोदय का समय कैसे दें और पूजा विधि और मंत्र
शीतला सप्तमी अष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि कथा उपाय और मंत्र
जानिए कब हैं गणगौर पूजा, व्रत विधि और धार्मिक महत्व
चैत्र मास का हुआ आरम्भ , जानिए इस मास के प्रमुख व्रत और त्योहार
जानिए, चैत्र मास की पूरी बातें साथ ही इस मास का महत्व, नियम और उपाय
वीडिओ, काशी में अनोखी होली चिताओं के बीच होली
पौराणिक कथाएं
राक्षसी होलिका, कैसे बनी एक पूजनीय देवी, जानें रोचक पौराणिक कथा
पौराणिक कथा में पढ़िए कौन है खाटू श्याम जी, क्या है उनकी कहानी और 11 अनजाने रहस्य
कौन थीं शबरी ? जानिए इनके माता पिता और गुरु को
महाभारत का युद्ध : आखिर 18 नंबर से क्या था कनेक्शन, क्यों चला था 18 दिन युद्ध ?
पौराणिक कथा : जानिए आखिर कैसे हुई थी श्री राधा रानी की मृत्यु ?
आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन
पत्थर रूप में ही क्यों शिंगणापुर में प्रकट हुए शनि पढ़िए पुरी कहानी
धार्मिक हलचल
वीडिओ – सी एम योगी ने किया मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन, लिया निर्माण कार्यों का जायजा
चक्रपुष्करिणी तीर्थ : उत्तराभिमुख गोमुख का रंगभरी एकादशी पर होंगे दर्शन
दैनिक पंचांग / राशिफल और जन्मदिन फल
11 मार्च : जिनका आज जन्म हुआ हो, जानें स्वभाव, शुभ तिथि हुए समय
आज का पंचांग, चतुर्थी, शनिवार ( 11 मार्च 2023)
आज का राशिफल , शनिवार,11 मार्च 2023
आज का पंचांग, तृतीया, शुक्रवार, (10 मार्च 2023)
आज का राशिफल, 10 मार्च 2023, शुक्रवार
ग्रह चाल और आप
चांडाल योग : 6 अनहोनी का जन्म देगा मेष में सूर्य, गुरु और राहु की युति, जानिए इसका आप पर प्रभाव
हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत पर इन चार राशियों का चमक उठेगा भाग्य
जानिए, मार्च मास में कैसा होगा आपका का राशिफल
शुक्रवार आज गुरु कर रहे हैं गोचर, पढ़िए क्या होगा असर आप के राशि पऱ ?
अवश्य पढ़िए..
नववर्ष का प्रारंभ 22 मार्च से, जानिए उस दिन के वो 3 संयोग जो है अत्यंत शुभकारी
जानिए क्या हैं राम गीता, कृष्ण से नहीं राम से जुड़ी हैं चार गीता
यदि आप रुद्राक्ष धारण करने वाले, भूलकर इन 6 जगहों पऱ न जाय
घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की फोटो लगाने से पहले जान लें ये नियम
आपके हाथ रेखाएं बताती हैं आपके के शरीर का रोग
इन पांच लोगों से डरते हैं शनि देव, जानें कौन हैं ये
नई दुल्हन को काले कपड़े पहनने की क्यों होती है मनाही, जानें सही वजह
परेशानियों से बचने के लिए 5 वस्तुएं को सदा रखे तुलसी से दूर
साल का पहला सूर्य ग्रहण, राशियों पर क्या होगा प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार माथे पर चंदन का तिलक लगाने के फायदे
किनको और क्यों रखना चाहिए शिखा या चोटी, मिलता हैं ये लाभ…
भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की तरह क्यों नहीं लगता महादेव के आगे ‘श्री’
यदि हैं आज कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान, राहत के लिए आजमाये ये उपाय
छिड़कें दो चुटकी नमक, मिलेगा जोरदार तरक्की आपको अपने करियर में
शनि देव को शांत करने के पाँच प्रयोग, पढ़िए ब्रह्म पुराण’ में क्या कहते है शनिदेव
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी सुझाव संग पसंद – नापसंद जरूर बताएं। साथ ही जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी “ के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है। 9889881111
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता को जाँच लें । सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/ प्रवचनों /धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply