जानें, शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा विधि से जुड़ी जरूरी बातें
होली के बाद हिंदू कलेंडर में दूसरा बड़ा त्यौहार अष्टमी पर आता है। इस अष्टमी को शीतला अष्टमी कहा जाता है। इस वर्ष शीतला अष्टमी 15 मार्च के दिन पड़ रही है। यह अष्टमी बसोड़ा पूजन के लिए बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। इस दिन बासी खाने का प्रसाद शीतला माता को चढ़ाया जाता है।
कई घरों में शीतला माता का व्रत भी रखा जाता है। शीतला माता की पूजा भी विशेष होती है। ‘हिंदू धर्म में केवल शीतला माता ही हैं, जिन्हें प्रसाद में बासी खाना चढ़ता है और यह प्रसाद भी विशेष विधि से चढ़ाया जाता है।’
तो चलिए जानते हैं शीतला माता को प्रसाद चढ़ने और उनकी पूजा विधि के बारे में-
शीतला सप्तमी के दिन मीठे चावल, खाजा, चूरमा, नमक पारे, पूड़ी और सब्जी आदि बनाए जाते हैं। इसके बाद इस भोजन को रख दिया जाता है और दूसरे दिन इसी का भोग देवी जी को चढ़ता है।
जब भी आप शीतला माता के लिए कोई भोग तैयार करें, तो उसे आग में इतना न पकाएं कि वो लाल हो जाए। इतना ही नहीं, इस बात का ध्यान रखें कि आपको यह सारा भोजन रात में सोने से पहले ही बनाना है।
पुजा प्रसाद तैयार करने के बाद आपको अपनी पूरी रसोई अच्छी तरह से साफ करनी है और चूल्हे पर रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि आर्पित करके पूजा करनी है। जब आप यह पूजा कर लें तो चूल्हा न जलाएं।
शीतला अष्टमी के दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना है और फिर मिट्टी के कंडवारे में दही, रबड़ी, चावल, पुआ आदि सभी कुछ जो आपने शीतला माता के भोग के लिए तैयार किया है उसे भरना है।
इसके अलावा आप एक थाली में माता के श्रृंगार का सारा सामान रखें। इसमें आप रोली, मौली, मेहंदी, काजल, हल्दी वस्त्र आदि रखें। साथ ही गोबर के कंडे से बनी एक माला भी रखें।
तांबे के कलश में साफ और शीतल जल भरें। बिना नमक वाले पानी से आटे को गूंथ लें और उसका दीपक बना लें। इस दीपक में देसी घी डालें और रूई की बत्ती को इसमें भिगो दें और इस दीपक से शीतला माता की आरती करें।
शीतला माता की पूजा के लिए साफ धुले हुए कपड़े पहने। हो सके तो आपको सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
पूजा के लिए चावल से एपन तैयार करें। पूजा के दौरान मंदिर की फर्श पर एपण से 7 बार गोले बनाएं और गोले बीच में दीपक रखें। फिर इस गोले में ही सुहाग का सारा सामान रखें और फिर बासी खाने का भोग माता जी को अर्पित करें।
इसके साथ ही देवी जी को गोबर के कंडे से बनी माला चढ़ाएं । देवी जी को शीतल पानी से अर्घ दें और थोड़ा जल बचा कर घर ले जाएं। इस जल को घर के हर कोने में डालें। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा घर में फैलती है।
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