नवरात्रि के दौरान क्यों रखा जाता है व्रत? जानें क्या है इसका महत्व और नियम
हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि मनाई जाती है जिनमें से दो नवरात्रि गुप्त होती हैं तो वहीं, 2 नवरात्रि महत्वपूर्ण माने जाती हैं। चार नवरात्रि में से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को फलदायक और माता रानी की पूजा के लिए उत्तम माना गया है।
वहीं, चैत्र नवरात्रि की बात करें तो 22 मार्च दिन बुधवार से चैत्र नवरात्रे शुरू होने जा रहे हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की उपासना की जाती है और इन नौ दिनों तक व्रत रखा जाता है।
नवरात्रि के दौरान क्यों रखा जाता है व्रत?
नवरात्रि के दौरान व्रत रखना माता रानी की पूजा के अंतर्गत आता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से आत्मा की शुद्धि होती है। व्रत करने से तन और मन को बल मिलता है। साथ ही शारीरिक, मानसिक एवं धार्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। शरीर को रोजाना के भोजन से थोड़ा विराम मिलता है जिससे शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
वहीं, व्रत करने से मन शांत होता है और तनाव भी दूर होता है जिससे मानसिक स्वास्थ्य में मजबूती आती है। साथ ही आध्यात्म की ओर मन लगने लगता है, सकारात्मकता का संचार होता है एवं नकारात्मकता दूर होती है जिससे धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। माता रानी की कृपा मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों से लड़कर बाहर निकलने का मार्ग मिलता है।
नवरात्रि के दौरान क्या है उपवास करने का महत्व?
मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास स्थापित होता है। वहीं, व्रत रखने से मां अपने भक्तों को बल, साहस और तीव्र बुद्धि प्रदान करती हैं। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के लिए व्रत रखने से नव ग्रह शांत होते हैं और ग्रह दोष भी दूर हो जाता है। ग्रह किसी प्रकार का संकट उत्पन्न नहीं करते हैं।
नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से हर एक ग्रह का शुभ प्रभाव पड़ता है जिससे सकारात्मक परिणाम जीवन में दस्तक देने लगते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां के लिए रखा गया व्रत अक्षत पुण्य की प्राप्ति में सहायक साबित होता है और मां दुर्गा के नौ रूपों से 9 दिव्य वरदान मिलते हैं। मां दुर्गा के आशीर्वाद से ज्ञान का संचार होता है और व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
नवरात्रि के व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए
नवरात्रि के समय अगर आपने सप्तरात्र व्रत रखा है तो आपको प्रतिपदा से सप्तमी तक व्रत पूर्ण करना चाहिए। तभी आपको इसका संपूर्ण फल प्राप्त होगा।
नवरात्रि के समय अगर आपके लिए व्रत रखना मुश्किल है तो आप पंचमी को एकभुक्त व्रत कर सकते हैं। इस व्रत में आप एक वक्त भोजन कर सकते हैं।
नवरात्रि के समय षष्ठी को नक्तव्रत यानी कि रात्रि भोजन के साथ व्रत और सप्तमी को अयानित व्रत किया जा सकता है। इस व्रत में बिना मांगे जो मिले उसका सेवा किया जाता है।
नवरात्रि के समय जो लोग व्रत रखने में सक्षम नहीं है वह त्रिरात्र व्रत रख सकते हैं यानी कि सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर व्रत का पालन कर सकते हैं।
नवरात्रि के समय व्रत रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि पलंग के बजाये जमीन पर सोएं आयर लकड़ी का तखत इस्तेमाल करेंगे तो और भी अच्छा होगा।
नवरात्रि के समय व्रत रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि क्रोध करने से बचें और मन में उदार, क्षमा एवं प्रेम भाव रखें। किसी से विवाद न करें।
नवरात्रि के समय व्रत रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि अपने मन पर संयम रखे और मन शांत करते हुए बहकती भाव में लीन रहें।
नवरात्रि के समय व्रत रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि झूठ बोलने या किसी के प्रति अपशब्द बोलने से बचें। मन में शुद्ध विचारों को स्थान दें।
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