आखिर चतुर्ग्रही और गजकेसरी योग का नव संवत्सर 2080 में कैसा रहेगा आप संग देश और विदेश पर असर
नवसंवत का ज्योतिषीय आकलन, बना चतुर्ग्रही और गजकेसरी योग
प्रजा के बीज सामंजस्य में वृद्धि होगी। शासन की नीतियां प्रजा के लिए लाभदायक होंगी। देश में चारों और उन्नति और विकास की बयार रहेगी।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 21 मार्च 2023 को रात्रि में 10 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होगी। इसी समय से नव संवत्सर 2080 प्रारंभ हो जाएगा। इस समय के अनुसार नव संवत का प्रारंभ वृश्चिक लग्न और मीन राशि में हो रहा है। पंचम स्थान में सूर्य, बृहस्पति, चंद्र और बुध होने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है।
वृश्चिक लग्न के फल के अनुसार पश्चिम दिशा के देशों-प्रदेशों के कुछ भू भागों में नौ माह तक दुर्भिक्ष जैसी आशंका बनेगी। उत्तर दिशा के क्षेत्रों में अर्द्धधान्य की उत्पत्ति, सोना-चांदी-तांबा-पीतल के भावों में तेजी आएगी। लग्नेश मंगल अष्टम स्थान में होने से विश्व में रक्तपात, हिंसा और अग्निकांड आदि घटनाएं अधिक होंगी। अशांति का वातावरण रहेगा।
पंचम स्थान में बृहस्पित सूर्य-चंद्र व बुध के साथ स्वराशि मीन में स्थित है। इसलिए शांतिप्रिय भारत का भविष्य उज्जवल है। भारत में शैक्षणिक क्षेत्र विशेषत: तकनीकी, कला, विज्ञान, यांत्रिकी आदि में उल्लेखनीय प्रगति होगी। षष्ठेश मंगल अष्टम में एवं छठे स्थान में शुक्र-राहु की युति से प्रजा संक्रामक रोग से पीड़ित होगी। चतुर्थ स्थान में स्वगृही शनि होने से भूगर्भ तेल, गैस व कोयला के भंडार की उपलब्धता रहेगी। नवमेश-दशमेश की युति त्रिकोण स्थान में होने से भारत की शासन व्यवस्था सुदृढ़ रूप से चलती रहेगी।
नवमेश चंद्र पंचम में बृहस्पति के साथ गजकेसरी योग बना रहा है। जिसके फलस्वरूप धार्मिक उन्माद में कमी आकर सांप्रदायिक सद्भाव में वृद्धि होगी। इस वर्ष का राजा बुध नीच मीन राशि में स्थित है। यहां सूर्य के साथ मिलकर बुधादित्य योग बना रहा है। युवाओं के लिए अनेक लाभदायक अवसर उत्पन्न होंगे। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां प्राप्त करने में सफल होंगे। और मंत्री शुक्र छठे में राहु के साथ होने से अनेक देशों में राष्ट्राध्यक्षों के सामने विकट परिस्थितियां उत्पन्न होंगी।
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